Trump on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त से भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। साथ ही रूस के साथ भारत के रक्षा और ऊर्जा संबंधों पर भी ट्रंप की तीखी टिप्पणी ने बाजार में बेचैनी बढ़ा दी। शुरुआती कारोबार में ही निवेशकों के करीब ₹2.73 लाख करोड़ स्वाहा हो गए। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे पूरे बाजार में घबराहट फैल गई। आर्थिक जानकार इसे भारत के लिए गंभीर कूटनीतिक और व्यापारिक संकट बता रहे हैं, जबकि विपक्ष सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़ा कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अब संतुलित तरीके से राष्ट्रीय हित और वैश्विक संबंधों के बीच रास्ता निकालना होगा।
सेंसेक्स-निफ्टी लुढ़के
गुरुवार सुबह शेयर बाजार खुलते ही अमेरिकी टैरिफ के असर से निवेशकों में हड़कंप मच गया। सुबह 9:20 बजे बीएसई सेंसेक्स 786.36 अंकों की गिरावट के साथ 80,695.50 पर और एनएसई निफ्टी 212.80 अंक टूटकर 24,642.25 पर पहुंच गया। बैंक निफ्टी में भी 422.55 अंकों की गिरावट आई और यह 55,728.15 पर बंद हुआ। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 1.1% तक की गिरावट दर्ज की गई।
सेंसेक्स की टॉप 30 कंपनियों में से 26 के शेयर लाल निशान में रहे। टाटा मोटर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा एंड महिंद्रा और भारती एयरटेल जैसे दिग्गज स्टॉक्स 2% तक गिर गए। वहीं ज़ोमैटो अकेला चमकता सितारा रहा जिसने बाजार गिरावट के बीच मजबूती दिखाई। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 400 अंक टूटा और मिडकैप इंडेक्स में 300 अंकों की गिरावट रही।
61 शेयर लोअर सर्किट में चले गए, जबकि 51 स्टॉक्स 52 हफ्तों के निचले स्तर पर पहुंच गए। बीएसई का कुल बाजार पूंजीकरण ₹452.29 लाख करोड़ से घटकर ₹449.56 लाख करोड़ रह गया, जिससे शुरुआती कारोबार में ही ₹2.73 लाख करोड़ का नुकसान हो गया।
Trump का हमला और भारत-रूस पर तंज
30 जुलाई को Trump ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। उन्होंने भारत के ‘उच्च टैरिफ’ और ‘अवांछनीय गैर-राजकोषीय व्यापार बाधाओं’ को कारण बताया। साथ ही रूस से भारत के रक्षा और ऊर्जा व्यापार पर भी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा, “भारत का रूस के साथ व्यापार मुझे फर्क नहीं पड़ता। अमेरिका का भारत के साथ व्यापार नगण्य है। उनके टैरिफ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं। ऐसा नहीं चलेगा।” इसके अलावा ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव को भी चेतावनी दी कि वे “अपनी भाषा संभालें”।
भारत की रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम और कच्चे तेल की खरीद अमेरिकी नाराजगी की मुख्य वजह मानी जा रही है।
‘राष्ट्रीय हित सर्वोपरि’
भारत सरकार ने Trump की घोषणा पर तत्काल प्रतिक्रिया दी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “भारत अमेरिकी टैरिफ का संज्ञान ले रहा है और इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहा है। हम निष्पक्ष, संतुलित और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत कर रहा है और इसकी छठी बैठक अगस्त के अंत में होनी है। उन्होंने साफ किया कि “भारत किसी भी समयसीमा से बंधा नहीं, सिर्फ राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।”
आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि टैरिफ और जुर्माने के संयुक्त प्रभाव से भारत के अनुमानित $4.3 ट्रिलियन GDP में 0.7% की गिरावट आ सकती है और FY2026 के लिए विकास दर घटकर 6.2% हो सकती है।
हालांकि जियोजित फाइनेंशियल के डॉ. वी के विजयकुमार का मानना है कि भारत की अमेरिकी निर्यात निर्भरता कम (GDP का 2%) होने के कारण लंबी अवधि में असर सीमित रहेगा।
‘कूटनीतिक विफलता’
AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, “ट्रंप रोज़ भारत का अपमान कर रहे हैं और पीएम चुप हैं। उन्हें कड़ा जवाब देना चाहिए।” कांग्रेस के जयराम रमेश ने इसे मोदी सरकार की ‘विदेश नीति की विफलता’ करार दिया और कहा कि भारत अब एक कमजोर स्थिति में है क्योंकि सरकार समय रहते व्यापार समझौता नहीं कर पाई।
वाणिज्यिक निकायों जैसे रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने चेतावनी दी है कि इससे नौकरियों पर असर पड़ेगा, अमेरिकी खरीदारों को महंगे दाम चुकाने पड़ेंगे, और सरकार को जल्द समाधान निकालना चाहिए।
अल्पकालिक दर्द, दीर्घकालिक संभल?
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा, विशेषकर टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मा और रत्न-आभूषण क्षेत्रों में। विजयकुमार ने कहा, “25% टैरिफ अपेक्षा से अधिक है और जुर्माने की अस्पष्टता निवेशकों को डरा रही है।”
हालांकि आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के फिरोज अज़ीज़ मानते हैं कि घरेलू निवेशकों की 85% हिस्सेदारी के कारण बड़ा बिकवाली संकट नहीं आएगा। “2-3 साल के नजरिए वाले निवेशकों के लिए यह खरीद का अवसर है,” उन्होंने कहा।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज़ के क्रांति बथिनी ने ट्रंप की अनिश्चित नीति को चिंता का कारण बताया। साथ ही 31 जुलाई को डेरिवेटिव्स के मासिक एक्सपायरी की वजह से भी अस्थिरता बढ़ने की आशंका जताई।
भारत का संतुलन मुश्किल
Trump की टैरिफ नीति केवल भारत तक सीमित नहीं है। चीन (34%), जापान (24%) और यूरोपीय संघ (20%) पर भी भारी शुल्क लगाया गया है। अमेरिका का उद्देश्य है घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और व्यापार घाटा कम करना।
भारत की रणनीतिक स्थिति इस समय मुश्किल में है – एक ओर अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी, दूसरी ओर रूस के साथ दशकों पुराने रक्षा संबंध। ऐसे में संतुलन साधना भारत के लिए बड़ी चुनौती है।
हालांकि अगस्त में होने वाली भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में समाधान की उम्मीद बनी हुई है। पीएचडीसीसीआई के हेमंत जैन का मानना है कि इससे वैश्विक खरीदार विविधता की ओर मुड़ सकते हैं और भारत को दीर्घकालिक नीति पर ध्यान देना चाहिए।
ट्रंप की 25% टैरिफ नीति और भारत-रूस संबंधों पर उनकी तीखी टिप्पणी ने भारतीय शेयर बाजार को गहरे संकट में डाल दिया है। भारत सरकार को अब आर्थिक सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति में संतुलन साधना होगा। हालांकि शुरुआती असर भारी रहा है, लेकिन विशेषज्ञ भारत की दीर्घकालिक मजबूती पर भरोसा जता रहे हैं—शर्त यह है कि आगामी व्यापार वार्ताएं सकारात्मक नतीजे दें। तब तक, निवेशकों और नीति निर्माताओं दोनों को सावधानी से हर कदम रखना होगा।
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