शानू ने बताया कि जब उसे थाने लाया गया, तो वहां के कुछ पुलिसकर्मियों ने उसे बंद कर दिया। एसपी के थाने में पहुंचने के दिन उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया। एसपी के जाने के बाद, शानू पर बुरी तरह से हमला किया गया, और उसके फोन को लात मारकर तोड़ दिया गया। उसकी मदद के लिए किसी भी तरह की गुहार लगाने के बावजूद, पुलिस ने उसे गंभीर चोटें पहुंचाई। शानू का कहना है कि उसे छोड़ने के नाम पर पुलिसकर्मियों ने 20 हजार रुपये की मांग की, जिससे वह हताश हो गया।
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हालांकि, एक गांव के प्रधान की मदद से मामला किसी तरह 20 हजार रुपये में तय हुआ और उसे अंततः छोड़ दिया गया। इसके बाद, शानू ने तहसील दिवस में जाकर SHO के खिलाफ प्रार्थना पत्र दिया और मीडिया के सामने अपनी आवाज उठाई। उसका वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें उसने अपनी पीड़ा व्यक्त की।
इस घटना ने Unnao जिले में पुलिस के प्रति आम जनता के विश्वास को चोट पहुंचाई है। क्या पुलिस इस मामले की जांच करेगी या फिर इसे दबाने की कोशिश करेगी, यह देखना बाकी है। स्थानीय लोगों और अधिकार कार्यकर्ताओं की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, ताकि फरियादियों के साथ होने वाले अत्याचार पर लगाम लगाई जा सके।