Unnao Rape Case:सुप्रीम कोर्ट से किसको लगा बड़ा झटका,जमानत आदेश पर रोक, फ़िलहाल जेल में ही रहेगा दोषी पूर्व विधायक

उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत से राहत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई। अगली सुनवाई तक आरोपी जेल में रहेगा।

Supreme Court Halts Bail Relief: उन्नाव रेप केस में दोषी करार दिए गए भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसमें सेंगर को जमानत दी गई थी और उसकी उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने सेंगर को नोटिस जारी करते हुए उससे जवाब भी मांगा है।

सीबीआई चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगली सुनवाई तक कुलदीप सिंह सेंगर को जेल से बाहर नहीं निकाला जाएगा। अब इस मामले में चार हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई होगी। गौरतलब है कि उन्नाव रेप केस में ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी अपील लंबित रहने तक सजा पर रोक लगाते हुए जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद सीबीआई इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कड़ी दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि यह नाबालिग से दुष्कर्म का गंभीर मामला है। पीड़िता की उम्र घटना के समय कम थी और सबूतों के आधार पर दोष पूरी तरह साबित हो चुका है। ऐसे अपराध में आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। सीबीआई ने यह भी बताया कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में भी दोषी है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया

पीड़िता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि आरोपी को किसी भी हालत में जेल से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई है और दूसरे पक्ष को काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के लिए समय दिया गया है।

पीड़ित पक्ष के वकील हेमंत कुमार मौर्य ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार को बड़ी राहत दी है। उन्होंने बताया कि परिवार को अब भी धमकियां मिल रही हैं और उनकी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। पीड़िता के परिवार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है ताकि वे टूट जाएं।

वकील ने यह भी बताया कि परिवार के एक नाबालिग बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया है और अब उसे कहीं दाखिला नहीं मिल रहा। परिवार को डर था कि अगर आरोपी को रिहा किया गया, तो उसका गैंग बाकी सदस्यों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पीड़िता के लिए सुरक्षा और न्याय की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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