CM योगी ने मिशन 2027 का तैयार किया मेगा प्लान, BJP अब ‘PDR’ के जरिए सपा के ‘PDA’ को ऐसे करेगी जमींदोज

लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिस ‘पीडीए’ के दम पर बीजेपी पछाड़ दिया था, उसकी काट अब बीजेपी ने ढूंढ ली है। बीजेपी अब पीडीआर फार्मूले के जरिए जीतेगी 2027 का दंगल।

लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी राजनीति में प्रयोग के लिए जानी जाती है। पीएम नरेंद्र मोदी की पहचान दुनियाभर में रिस्क लेने वाले नेताओं में की जाती है। पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले चौकाने वाले होते हैं। जब 2017 के विधानसभा चुनाव में सूबे के सीएम के नाम को लेकर चर्चाएं थीं। अनगिनत नाम मीडिया और राजनीतिक पंडितों की डायरी में छाए हुए थे। तभी ‘नमो मिसाइल’ चली और गोरखपुर के ‘महाराज जी’ यानि योगी आदित्यनाथ का नाम सीएम पद के तौर पर फाइनल हो गया। अब फिर से पीएम नरेंद्र मोदी एक्टिव हैं। उन्होंने अगस्त क्रांति का शंखनाद कर दिया है। वह सीएम योगी के साथ देश के बड़े सियासी दंगल 2027 पर कब्जा करने को लेकर रण में उतर चुके हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ भी ‘पीडीआर’ फार्मूले के जरिए जीत की डुगडुबी बजा दी है। जिसका असर भी दिखने लगा है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर बीजेपी अभी से तैयारियों में जुट गई है। बीजेपी ने सपा के ‘पीडीए’ की काट के तौर पर ‘पीडीआर’ रूपी अस्त को तैयार किया है। जिसके जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ अब अखिलेश यादव की साइकिल को पंक्चर करने के मिशन में जुट गए हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिस ’पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के दम पर बीजेपी को पछाड़ दिया था, उसकी काट अब बीजेपी ने ढूंढ ली है। खबरों की मानें तो सपा के पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फॉर्मूले का जवाब भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा, दलित और राष्ट्रवाद यानी पीडीआर की रणनीति से देगी। इस फॉर्मूले के तहत जहां बीजेपी के संगठनों में अब पिछड़ों और दलित वर्ग से आने वाले नेताओं को तवज्जो दी जा रही है तो वहीं लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जलाकर भी गोलबंदी की कोशिश की जा रही है।

बीजेपी ने इसकी शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर सभी स्कूलों और मतदान केंद्रों में तिरंगा झंडा फहराने की मुहिम के साथ की। सभी बड़े शहरों में तिरंगा यात्रा निकाली गई और हर घर तिंरगा की मुहिम को भी बढ़ावा दिया गया। बीजेपी न सिर्फ पिछड़ा दलित के साथ राष्ट्रवाद को धार दे रही है बल्कि सपा के पीडीए को भी परिवार डेवलेपमेंट अथॉरिटी बताकर निशाना साधने में जुटी है। ताकि जनता में ये संदेश जाए कि पीडीए के नाम पर किसी तरह सपा में एक जाति और एक ही परिवार को आगे बढ़ाया जा रहा है। बीजेपी के हाथ एक और मुद्दा उस वक्त लगा जब विधानसभा सत्र के दौरान चायल सीट से विधायक पूजा पाल ने जमकर सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की, जिससे समाजवादी पार्टी बुरी तरह भड़क गई और तत्काल पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया। बीजेपी ने इस मुद्दों को भी पिछड़ा दलित से जोड़ दिया है।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने ये कार्रवाई इसलिए की क्योंकि वो पीडीए समाज के दर्द को नहीं समझते हैं। बीजेपी ने सिर्फ सपा को आड़े हाथों लिया बल्कि सीएम योगी ने पूजा पाल से मुलाकात भी की और ये संदेश देने की कोशिश की कि वो पिछडा-दलित के साथ हैं। पूजा पाल गड़रिया समाज से आती हैं। इस समाज का करीब एक से दो दर्जन सीटों पर खासा दबदबा है। पाल समाज के अलावा बीजेपी की नजर कुर्मी वोटरों पर है। कुर्मी वोटर 2024 से पहले बीजेपी के साथ था। लेकिन लोकसभा चुनाव में से छिटक कर सपा के साथ चला गया। यूपी में करीब 6 फीसदी कुर्मी वोटर है। सूत्र बताते हैं कि एक महिला कुर्मी विधायक कभी भी सपा से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम सकती है। इनसब के बीच बीजेपी जल्द ही यूपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम का भी एलान कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ी समाज से आने वाला नेता हो सकता है।

सूत्र बताते हैं कि यूपी बीजेपी चीफ का नाम लगभग-लगभग फाइनल हो गया है। बीजेपी कभी भी प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि यूपी बीजेपी चीफ की रेस में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कैबीनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और धर्मपाल सिंह शामिल हैं। ओबीसी और ब्राह्मण के अलावा एक दलित चेहरे का नाम भी रेस में बताया जा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष के साथ ही योगी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी चचाएं तेजी हैं। सूत्र बताते हैं कि विस्तार को लेकर सीएम योगी की पार्टी हाईकमान के साथ एक गुप्त बैठक हो चुकी है। भावी मंत्रियों के नाम भी फाइनल हो चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि पूजा पाल, राजा भैया, बृजभूषण शरण सिंह के बेटे के अलावा सपा की एक और ओबीसी समाज से आने वाली महिला विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल आठ से 10 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। साथ ही आधा दर्जन मंत्रियों को कुर्सी से उताकर संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

 

 

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