कलयुगी बेटे ने मां के साथ की दरिंदगी, पोते को देनी पड़ी अपने ही पिता के खिलाफ गवाही…

उत्तर प्रदेश के कानपुर में फास्टट्रैक कोर्ट ने मां के साथ दुष्कर्म के आरोप में बेटे को आजीवन कारावास** की सजा सुनाई है। अदालत ने **साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर उसे दोषी ठहराते हुए उसके ऊपर ₹35,000 का जुर्माना भी लगाया है।

UP Crime

UP Crime : उत्तर प्रदेश के कानपुर में इंसानियत को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया, जिसमें एक बेटे ने अपनी ही मां के साथ दुष्कर्म किया। इस जघन्य अपराध में कानपुर की फास्टट्रैक कोर्ट ने कड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी बेटे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही ₹35,000 का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से आधी रकम पीड़िता को देने के आदेश दिए गए हैं।

9 मार्च को हुआ था घिनौना कांड

घटना 9 मार्च 2025 की है। पीड़िता उस वक्त घर में अकेली थी, जब आरोपी बेटा शराब के नशे में धुत होकर चाकू लेकर घर पहुंचा। उसने पहले धमकी दी और फिर जबरन अपनी मां के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। पीड़िता किसी तरह खुद को संभालते हुए कमरे से बाहर निकली और चीखने-चिल्लाने लगी।

उसी समय वहां उसका पौत्र (आरोपी का बेटा) पहुंचा, जो बीएससी का छात्र है। दादी ने उसे पूरी आपबीती सुनाई, जिसके बाद उसने यूपी-112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया।

4 गवाहों ने किया सच उजागर

मामले की जांच पूरी कर 18 मार्च को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और 19 जून को आरोप तय किए गए। सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसका पौत्र और दो अन्य गवाहों ने कोर्ट में बयान दर्ज कराए। सभी गवाहों के सटीक और सशक्त बयानों के साथ साक्ष्यों ने आरोपी को दोषी साबित किया, जिसके आधार पर कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी।

फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश पीयूष सिद्धार्थ ने कहा कि मां और बेटे का रिश्ता जन्म से पहले ही बन जाता है, जब बच्चा नौ महीने तक गर्भ में पलता है। यह रिश्ता सामाजिक और नैतिक मूल्यों की नींव है। ऐसे रिश्ते को कलंकित करने वाला व्यक्ति किसी भी प्रकार की सहानुभूति के योग्य नहीं है। उन्होंने कहा, “शराब का नशा इस घृणित कार्य के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता।”

पीड़िता को मिलेगी अतिरिक्त सुरक्षा

कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता को अतिरिक्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। न्यायालय ने इस मामले में सिर्फ छह महीनों में ट्रायल पूरा कर फैसला सुनाया, जो न्यायिक प्रक्रिया की गति और गंभीरता को दर्शाता है।

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इस मामले में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र कुमार पांडेय ने पक्ष मजबूत तरीके से रखा। उन्होंने कहा कि यह फैसला समाज को स्पष्ट संदेश देता है कि जो भी व्यक्ति नैतिकता और सामाजिक मर्यादा को रौंदने का प्रयास करेगा, उसके साथ कानून सख्ती से पेश आएगा।

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