UP defense corridor land acquisition scam investigation: लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। इस मामले में तत्कालीन डीएम सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर जल्द कार्रवाई होना तय है। राजस्व विभाग ने जांच समिति की रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को भेज दी हैं। रिपोर्ट में डीएम, राजस्व विभाग, भूमि अधिग्रहण कार्यालय और उप निबंधक कार्यालय के अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। साथ ही दोषियों से वसूली करने की भी बात कही गई है।
कैसे हुआ यह घोटाला
35-36 साल बाद राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से कानूनी प्रक्रिया को अनदेखा कर इन जमीनों को असंक्रमणीय से संक्रमणीय बना दिया गया। कुछ अनुसूचित जाति के लोगों को दी गई जमीन गैर-अनुसूचित जाति के लोगों को बेच दी गई। इस तरह से ग्राम समाज की जमीन को बेचा गया और मुआवजा लिया गया। अगर अधिकारियों ने सही तरीके से जांच की होती, तो यह घोटाला समय रहते पकड़ लिया जाता।
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही
रिपोर्ट के मुताबिक, पट्टों के फर्जी आवंटन के आधार पर 2020 में कुछ लोगों को राजस्व रिकॉर्ड में भूमिधर के रूप में दर्ज किया गया। इसके बाद 2021 में इन्हें असंक्रमणीय से संक्रमणीय बना दिया गया। इस दौरान क्रय समिति के अध्यक्ष (जिलाधिकारी) और सचिव (तहसीलदार, सरोजनीनगर) अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असफल रहे।
इन अधिकारियों-कर्मचारियों पर गिरी गाज
इस मामले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इनमें शामिल हैं।
लेखपाल: रमेश चंद्र प्रजापति, हरिश्चंद्र
राजस्व निरीक्षक: राधेश्याम, अशोक सिंह, रत्नेश सिंह, जितेंद्र कुमार सिंह
रजिस्ट्रार कानूनगो: नैन्सी शुक्ला
तहसीलदार: उमेश सिंह, जानेंद्र द्विवेदी, ज्ञानेंद्र सिंह, विजय कुमार सिंह
उप जिलाधिकारी: सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. संतोष कुमार, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार, शंभु शरण
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन): अमर पाल सिंह
जांच समिति की सिफारिशें
1985 की फर्जी पत्रावली में दर्ज 90 में से 11 व्यक्तियों के नाम राजस्व अभिलेखों में न जोड़े जाएं। डीएम इसकी पुष्टि करें।
गलत तरीके से दर्ज 79 लोगों के नाम हटाए जाएं और जमीन को ग्राम समाज के खाते में दर्ज किया जाए।
जिन लोगों ने यह जमीन दूसरों को बेची, उनके विक्रय पत्र अमान्य घोषित किए जाएं।
डिफेंस कॉरिडोर की खरीदी गई भूमि के दौरान यूपीडा और अन्य हितधारकों के अधिकार सुरक्षित किए जाएं।
जिन लोगों ने कथित रूप से जमीन का अनुबंध यूपीडा को दिया और मुआवजा लिया, उनसे वसूली की जाए।
संक्रमणीय और असंक्रमणीय भूमिधर का दर्जा देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए।
अनुसूचित जाति की भूमि गैर-अनुसूचित जाति को बेचने की अनुमति देने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।