यूपी में डिटेंशन सेंटर: क्या योगी का ‘निर्णायक अभियान’ घुसपैठियों को बाहर करने का राष्ट्रीय मॉडल बनेगा?

उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'निर्णायक अभियान' केंद्र की SOP और असम के अनुभव से सीख लेकर देश के सामने एक नया मॉडल पेश कर सकता है। (40 शब्द)

UP Detention Centre

UP Detention Centre: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अवैध घुसपैठियों के खिलाफ शुरू किया गया ‘निर्णायक अभियान’ अब दिसंबर 2025 में अपने चरम पर है। 22 नवंबर को योगी ने सभी 75 जिलों में घुसपैठियों की पहचान करने, अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाने और सत्यापन के बाद डिपोर्ट करने का निर्देश दिया। 2 दिसंबर को 18 मंडलों में केंद्र स्थापित करने का आदेश जारी हुआ, जो असम के मौजूदा 6 सेंटरों से कहीं अधिक है। यह अभियान स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट शुद्धिकरण करना है। अनुमानतः राज्य में 10 लाख अवैध प्रवासी हैं।

अगर यूपी 30-40% घुसपैठियों को डिपोर्ट करने में सफल होता है, तो UP Detention Centre की अधिक संख्या, SIR और केंद्र की SOP से तालमेल वाला यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्यों (जैसे गुजरात, महाराष्ट्र) के लिए एक प्रभावी ब्लूप्रिंट बन सकता है। (117 शब्द)

असम और बंगाल से तुलना: कहाँ है चुनौती?

घुसपैठियों को उनके मूल देश वापस भेजना भारत के लिए हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है।

  • असम का अनुभव: यह राज्य अप्रवासियों की समस्या से सबसे अधिक त्रस्त रहा है। असम सरकार ने 1 लाख से अधिक संदिग्धों की जांच और 10,000 से अधिक को डिपोर्ट करने का दावा किया है। वहीं, 2016 से सिर्फ 26 लोगों को डिपोर्ट करने का विपक्ष (कांग्रेस) का आरोप है। हाल की ‘पुशबैक’ पॉलिसी (2024-2025 में 2,000+ बांग्लादेशी डिपोर्ट) तेज है, लेकिन जुलाई 2025 की HRW रिपोर्ट और फ्रंटलाइन मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर सकती है और हिरासत में मौतें भी हुई हैं। कोर्ट के संरक्षण के कारण डिपोर्टेशन का सक्सेस रेट केवल 20-30% है।

  • बंगाल में राजनीतिक बाधा: पश्चिम बंगाल में अनुमानित 40 से 60 लाख अवैध प्रवासी हैं, जो राजनीतिक संतुलन को प्रभावित करते हैं। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और कांग्रेस इन प्रवासियों को अपना ‘कोर वोट बैंक’ मानती हैं, इसलिए ममता बनर्जी SIR का विरोध करती हैं। केंद्र के निर्देशों के बावजूद, बंगाल में डिटेंशन सेंटरों की संख्या सीमित है और निर्माण कार्य रुका हुआ है।

  • दिल्ली मॉडल: दिल्ली में छोटे पैमाने पर सफलता मिली है। 2024-25 में 200 से अधिक अवैध इमिग्रेंट्स को पकड़ा गया और 70% को डिपोर्ट किया गया, लेकिन डिटेंशन क्षमता केवल 1,000 लोगों की है, जबकि अनुमानित 50,000 अवैध प्रवासी हैं। फर्जी दस्तावेज और कोर्ट की देरी मुख्य बाधा हैं।

यूपी का मॉडल क्यों हो सकता है कारगर?

UP Detention Centre का प्लान घुसपैठियों की धरपकड़ को SIR के साथ जोड़कर कर रहा है, जो वोटर लिस्ट शुद्धिकरण का एक शक्तिशाली टूल है। योगी ने 3 दिसंबर को सफाई कर्मचारियों में रोहिंग्या-बांग्लादेशी की जांच का आदेश दिया, जो स्लम्स और अनौपचारिक सेक्टरों पर फोकस करता है।

  • अधिक क्षमता: असम में 6 UP Detention Centre हैं, जबकि यूपी में 18 मंडलों में सेंटर शुरू हो चुके हैं। यह ओवरक्राउडिंग की समस्या को कम करेगा।

  • जीरो टॉलरेंस: माफिया मुक्त कराने के अभियानों की तरह, योगी की जीरो टॉलरेंस नीति से तेज और निर्णायक एक्शन की उम्मीद है।

  • BSF और FRRO समन्वय: केंद्र की SOP के तहत दैनिक रिपोर्टिंग और BSF के साथ समन्वय से डिपोर्टेशन प्रक्रिया में तेजी आ सकती है।

2027 चुनावों में सियासी लाभ

योगी का यह अभियान 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में BJP के लिए एक मजबूत रणनीतिक कदम हो सकता है। यह SIR से जुड़ा है, जो ‘राष्ट्रवादी’ नैरेटिव को मजबूत करता है।

  • वोटर शुद्धिकरण: फर्जी वोटर हटने से BJP के पक्ष में वोट शेयर बढ़ने की संभावना है। 2022 में BJP को 41% वोट मिले थे, जो अब 45% से अधिक तक पहुंच सकता है।

  • हिंदुत्व का नैरेटिव: ‘बुलडोजर वाली’ छवि और असम-NRC मॉडल से प्रेरित यह एक्शन हिंदू-ओबीसी वोटरों (BJP का 40% बेस) को एकजुट करेगा।

  • राष्ट्र रक्षा: BJP के लिए यह ‘राष्ट्र रक्षा’ नैरेटिव चुनावों में वोटबैंक मजबूत करेगा, जबकि विपक्ष (SP, कांग्रेस) इसे ‘ध्रुवीकरण’ का हथियार बता रहा है।

यूपी के UP Detention Centre एक्शन की सफलता डिपोर्टेशन की गति, कानूनी सुधार और अंतरराष्ट्रीय समन्वय पर निर्भर करेगी। यदि शुरुआती कुछ महीनों में सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर घुसपैठियों को बाहर करने की नीति के लिए एक महत्वपूर्ण ब्लूप्रिंट बन सकता है।

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