UP electricity Rate: उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में संभावित 30% बढ़ोतरी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। पावर कॉरपोरेशन के संशोधित प्रस्ताव को नियामक आयोग ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। जनता को 21 दिनों का समय दिया गया है, जिसमें वे इस प्रस्ताव पर आपत्तियां और सुझाव दर्ज करा सकते हैं। कंपनियों को आदेश दिया गया है कि तीन दिनों में जनता को विज्ञापन जारी कर सूचना दें। जुलाई में इस मामले पर विस्तृत सुनवाई होगी। उपभोक्ता परिषद ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए 40-45% कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं की उम्मीदें जुड़ी हैं।
प्रस्ताव पर गुपचुप मंजूरी, आयोग पर उठे सवाल
UP electricity दरों में 30 फीसदी बढ़ोतरी के लिए दाखिल प्रस्ताव को नियामक आयोग ने 9 मई को सुनवाई के लिए मंजूर किया था। इसके बाद पावर कॉरपोरेशन ने संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर 19,600 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला दिया। पहले यह घाटा 10,000 करोड़ रुपये बताया गया था। आयोग ने इस संशोधित एआरआर को भी कुछ कमियों के बावजूद स्वीकार कर लिया। यह पहली बार हुआ है जब पूर्व में स्वीकृत एआरआर के बाद एक संशोधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। हालांकि, आयोग द्वारा इसे पब्लिक डोमेन में न डालने और गुपचुप तरीके से स्वीकारने पर आपत्तियां सामने आ रही हैं।
बिजली कंपनियों पर 33 हजार करोड़ बकाया, फिर भी दरें बढ़ाने की तैयारी
UP electricity उपभोक्ता परिषद ने आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ रुपये बकाया हैं। बावजूद इसके, कंपनियां दरों में इजाफे की मांग कर रही हैं। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग द्वारा कमियों के बावजूद संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार करना नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आयोग ने उपभोक्ता हितों की अनदेखी करते हुए कंपनियों के पक्ष में रुख अपनाया है। परिषद ने दरों में 40-45% कटौती का प्रस्ताव भी दिया है, जो जुलाई की सुनवाई में रखा जाएगा।
अब जनता की बारी, सुझाव और आपत्तियां दर्ज करने को 21 दिन
अब यह मामला जनता के दरबार में है। नियामक आयोग ने आदेश दिया है कि बिजली कंपनियां तीन दिनों के भीतर प्रस्तावित दरों की जानकारी विज्ञापन के माध्यम से दें ताकि उपभोक्ता अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज करा सकें। इसके लिए 21 दिन का समय दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जुलाई में सुनवाई शुरू होगी और तभी तय होगा कि बिजली दरें बढ़ेंगी या नहीं। फिलहाल बढ़ोत्तरी की आशंका से उपभोक्ताओं में बेचैनी है, वहीं विपक्ष और उपभोक्ता संगठन इसे जनता पर अतिरिक्त बोझ कहकर विरोध कर रहे हैं।