लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। आखिरकार आईपीएस प्रशांत कुमार बतौर यूपी डीजीपी पद से 31 मई की शाम सेवानिवृत्त हो गए। वह 14 माह तक सूबे की पुलिस के बॉस रहे। ऐसी चर्चा थी कि योगी सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार देने जा रही है। इसके लिए केंद्र को पत्र भी लिखा गया। लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक माह पहले ही आईपीएस राजीव कृष्णा को डीजीपी बनाने के साथ ही प्रशांत कुमार को भी रिटायरमेंट के बाद बड़े ओहदे पर बैठाए जानें का मन बना चुके थे। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही यूपी में प्रशांत कुमार के लिए एक पद सृजित किया जाएगा। इसको लेकर खुद पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एक्स पर लिखकर संकेत दिए हैं।
प्रशांत कुमार का 14 माह का रहा कार्यकाल
डीजीपी के पद से सेवानिवृत्त हुए प्रशांत कुमार का 14 माह का कार्यकाल रहा। उनका ये कार्यकाल माफिया व अपराधियों को धूल चटाने वाला रहा। उन्होंने महाकुंभ, राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह समेत कई बड़े आयोजनों में पुलिस के आतिथ्य सत्कार की नई मिसाल पेश कर धाक भी जमाई। बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल में मेरठ जोन का एडीजी रहने के दौरान उन्होंने पश्चिमी यूपी के तमाम कुख्यात अपराधियों का सफाया कराया, जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें एडीजी कानून व्यवस्था बना दिया। उन्होंने मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफिया और उनके गैंग के सदस्यों की कमर तोड़ी, तो सीएम ने उनको 31 जनवरी 2024 को डीजीपी बना दिया।
यूनीफॉर्म अस्थायी है, ड्यूटी हमेशा
आईपीएस प्रशांत कुमार ने रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले शनिवार को कई पूर्व डीजीपी की परंपरा का पालन किया और रैतिक परेड जैसी औपचारिकताओं से दूर रहे। खाकी को अलविदा कहने के बाद पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने रविवार सुबह एक्स पर अपने साथ काम कर चुके सहयोगियों, दोस्तों और पुलिस के सभी योद्धाओं को संबोधित भावुक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने लिखा कि इस पद को बिना किसी पछतावे के गर्व के साथ छोड़ रहा हूं। मेरी प्रार्थनाएं, सम्मान और समर्थन हमेशा आप सबके साथ रहेगा। पूर्व डीजीपी ने आगे कुछ अहम शब्द लिखे। उन्होंने लिखा, यूनीफॉर्म अस्थायी है, ड्यूटी हमेशा है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है कि प्रदेश की योगी सरकार उन्हें बड़े ओहदे पर बैठा सकती है।
खाकी में नागरिकों का विश्वास बढ़ा
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एक्स पर लिखा, 31 मई को घर जाने पर जब अपने जूते उतारे तो मेरा दिल कृतज्ञता, गर्व और अपनेपन की भावना से भर गया। यह सिर्फ विदाई नहीं है, बल्कि रुकने, चिंतन करने और सेवा की इस असाधारण यात्रा में मेरे साथ चलने के लिए आप सभी को धन्यवाद देने का क्षण है। वे सिपाही जो ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए तेज बारिश में खड़ा रहता है, जो अधिकारी रात भर जागकर केस को सुलझाता है, वह इस पुलिस बल की सच्ची आत्मा है। हम सबने साथ में त्रासदी, विजय और परिवर्तन का सामना किया है। पुलिसिंग को आधुनिक बनाया, साइबर अपराध और अन्य विपरीत परिस्थितियों का सामना किया। इससे बढ़कर सबका विश्वास जीता। खाकी में नागरिकों का विश्वास बढ़ा।
बिहार के रहने वाले हैं प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और मूल रूप से बिहार के सीवान जिले से आते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में उनकी पहचान एक तेज तर्रार, निर्णयात्मक और माफिया विरोधी अफसर के रूप में रही है। उन्होंने संगठित अपराध के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की। 300 से अधिक एनकाउंटर किए गए। इनमें कई कुख्यात अपराधियों का सफाया हुआ। अपने कार्यकाल में उन्होंने ।क्ळ मेरठ ज़ोन, डीजी कानून-व्यवस्था और डीजी आर्थिक अपराध शाखा जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने अपने रणनीतिक कौशल और कड़क प्रशासनिक फैसलों के चलते एक सख्त और प्रभावशाली पुलिस अधिकारी की छवि बनाई। आईपीएस प्रशांत कुमार ने यूपी पुलिस के काम करने के तरीके पर अचूक बदलाव किए। इन्हीं के कार्यकाल के दौरान सूबे में कमिश्नरी व्यवस्था लागू की गई।
वैज्ञानिक सोच में भी गहरी रुचि
प्रशांत कुमार की गिनती उन गिने-चुने आईपीएस अधिकारियों में होती है, जिन्होंने सेवा के साथ-साथ उच्च शिक्षा को भी प्राथमिकता दी। उन्होंने अप्लाइड जूलॉजी में एमएससी, डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए और डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ में एमफिल की डिग्रियां हासिल की हैं। इससे स्पष्ट है कि पुलिसिंग के साथ-साथ रणनीतिक और वैज्ञानिक सोच में भी उनकी गहरी रुचि रही है। प्रशांत कुमार को उनके अदम्य साहस और नेतृत्व के लिए लगातार चार वर्षों 2020, 2021, 2022 और 2023 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि उन्हें देश के उन चुनिंदा पुलिस अधिकारियों में शामिल करती है, जिन्हें चार बार यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला हो। आईपीएस प्रशांत कुमार को सीएम योगी आदित्यनाथ का सबसे करीबी अफसर बताया जाता था। सीएम योगी के बनाए गए रोडमैप को उन्होंने धरातल पर उतारा।
तब चर्चाओं में आए थे प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार के नेतृत्व की एक बड़ी मिसाल वर्ष 2017 में मेरठ में देखने को मिली थी, जब वह वहां के एडीजी के पद पर तैनात थे। उस समय दिल्ली के मेट्रो हॉस्पिटल के डॉक्टर श्रीकांत गौड़ का अपहरण कर लिया गया था। अपराधी डॉक्टर को मेरठ ले आए थे और परिजनों से पांच करोड़ रुपये की फिरौती की मांग कर रहे थे। प्रशांत कुमार ने दिल्ली पुलिस और मेरठ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के साथ तालमेल बनाते हुए एक योजनाबद्ध मुठभेड़ अभियान चलाया। इस दौरान डॉक्टर को सकुशल मुक्त करवा लिया गया और अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इस सफल ऑपरेशन के बाद ही वह सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर में आए। यूपी सरकार ने आईपीएस प्रशांत कुमार को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया। फिर उन्हें डीजीपी की कुर्सी पर बैठाया गया।