UP government tissue culture lab for better crop quality उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में राज्य में उन्नत और रोग मुक्त पौध तैयार करने के लिए एक नया कदम उठाया गया है। सरकार ने अयोध्या, मेरठ और कानपुर के कृषि विश्वविद्यालयों में ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला (टिश्यू कल्चर लैब) स्थापित करने का निर्णय लिया है।
बढ़ेगा केला और ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन
इन प्रयोगशालाओं में खासतौर पर केला और ड्रैगन फ्रूट की उन्नत पौध विकसित की जाएगी। इससे किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे मिलेंगे और वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पादन कर सकेंगे। इन लैब की स्थापना के लिए सरकार ने नौ करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिससे किसानों को ज्यादा और बेहतर उत्पादन करने में मदद मिलेगी।
तीन कृषि विश्वविद्यालयों में खुलेंगी नई लैब
पिछले साल ही प्रदेश सरकार ने मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय और अयोध्या के आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में टिश्यू कल्चर लैब खोलने का फैसला किया था। टिश्यू कल्चर एक उन्नत तकनीक है, जिसमें पौधों के ऊतकों से नए और स्वस्थ पौधे तैयार किए जाते हैं। इस विधि से एक साथ बड़ी संख्या में पौध तैयार होती हैं, जिससे किसानों को अधिक मात्रा में अच्छी गुणवत्ता के पौधे मिल सकेंगे।
किन फसलों पर होगा फोकस
मेरठ और अयोध्या के कृषि विश्वविद्यालयों में मुख्य रूप से केला की पौध तैयार की जाएगी, जबकि कानपुर के विश्वविद्यालय में केला के साथ ड्रैगन फ्रूट की भी खेती होगी। हालांकि, प्रदेश में केला की उन्नत पौध पहले से तैयार की जा रही है, लेकिन फिर भी इसकी मांग पूरी नहीं हो पा रही थी। नई लैब के शुरू होने से इस समस्या का समाधान होगा।
ड्रैगन फ्रूट की उन्नत पौध उपलब्ध होने से इस फल की खेती करने वाले किसानों को भी बड़ा फायदा मिलेगा।
सरकार ऐसे करेगी फंडिंग
योगी सरकार ने इन प्रयोगशालाओं के लिए कुल नौ करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसमें से,
मेरठ कृषि विश्वविद्यालय को 451.56 लाख रुपये,
अयोध्या कृषि विश्वविद्यालय को 190 लाख रुपये,
कानपुर कृषि विश्वविद्यालय को 258.44 लाख रुपये दिए जाएंगे।
लखनऊ के उप महानिदेशक डॉ. संजीव कुमार के अनुसार, टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार पौधे न केवल रोग मुक्त होते हैं, बल्कि इनकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इस नई पहल से किसानों को अधिक उत्पादन करने में मदद मिलेगी और राज्य के कृषि उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकेंगे।