UP Health Department: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब मरीजों की हेल्थ कुंडली बनाई जाएगी। इस डिजिटल हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री में मरीजों के इलाज से जुड़ी सारी जानकारियां स्टोर की जाएंगी। अगर मरीज किसी दूसरे सरकारी अस्पताल में जाता है, तो आभा आईडी के जरिए उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टर के सामने आ जाएगी।इसमें मरीज की जांच रिपोर्ट, फॉर्मेसी के बिल, डिस्चार्ज से जुड़े कागजात और पुरानी बीमारियों का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध रहेगा। इसका फायदा यह होगा कि मरीजों को बार-बार मेडिकल फाइल और रिपोर्ट लेकर घूमने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
हर सरकारी अस्पताल में डिजिटल रिकॉर्ड
बीमारी से लेकर इलाज तक की पूरी जानकारी इस पर मौजूद रहेगी,लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के सीएमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अब सभी सरकारी अस्पतालों में आभा आईडी के जरिए पर्चे बनाए जा रहे हैं। मरीज की पूरी जानकारी डिजिटल फॉर्म में स्टोर होगी, जिससे डॉक्टर यह जान पाएंगे कि
मरीज को कौन-सी बीमारी कब हुई?
पहली बार डॉक्टर को कब दिखाया?
कौन-सा इलाज चला और कौन-सी जांच हुई?
एडमिट होने के बाद उसकी हालत कैसी थी और डिस्चार्ज के समय क्या स्थिति थी?
अब सारे मेडिकल डॉक्यूमेंट एक क्लिक में उपलब्ध
सीएमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक, हेल्थ कुंडली से मरीजों को मेडिकल डॉक्यूमेंट संभालने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। जब यह सिस्टम पूरी तरह से लागू हो जाएगा, तो मरीज देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकेगा और डॉक्टर को उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री ऑनलाइन मिल जाएगी।यह सुविधा फिलहाल शुरुआती चरण में है, लेकिन आने वाले समय में इसे और भी एडवांस बनाया जाएगा।
रेडियोलॉजी और फॉर्मेसी की जानकारी भी होगी शामिल
लोकबंधु अस्पताल के सीएमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अभी आभा आईडी से मरीजों के पर्चे और डिस्चार्ज प्रोसेस किया जा रहा है। भविष्य में इसमें रेडियोलॉजी और फॉर्मेसी की जानकारी भी जोड़ी जाएगी।इसका मतलब यह होगा कि मरीज की एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी रिपोर्ट्स और दवाओं का रिकॉर्ड भी ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा। यह एक तरह का डिजिटल लॉकर होगा, जहां मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री सुरक्षित रहेगी।
देशभर में किसी भी डॉक्टर को मिलेगी जानकारी
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि हेल्थ कुंडली बनाने का काम पूरे देश में चल रहा है। जब यह पूरी तरह से तैयार हो जाएगा, तो अगर कोई लखनऊ का मरीज तमिलनाडु के किसी सरकारी अस्पताल में जाता है, तो वहां के डॉक्टर भी उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री देख पाएंगे।इससे मरीजों को नए अस्पताल में बार-बार टेस्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इलाज का सही तरीका तुरंत अपनाया जा सकेगा।