Dayashankar Singh News: उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री Dayashankar Singh ने बलिया में एक नवनिर्मित पुल को बिना सूचना खोले जाने पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर जमकर भड़ास निकाली। मंत्री को जब यह जानकारी मिली कि कटहरनाला स्थित पुल को बिना किसी उद्घाटन के ही आम जनता के लिए खोल दिया गया है, तो वह आधी रात को खुद मौके पर पहुंच गए। यहां अधिशासी अभियंता को कड़ी फटकार लगाई गई। मंत्री ने अधिकारियों पर विपक्षी दल बसपा से सांठगांठ का आरोप भी लगाया और कहा कि वह इस पूरे मामले की शिकायत उच्च स्तर तक करेंगे।
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आधी रात कटहरनाला पहुंचे मंत्री, भड़के अधिकारियों पर
मंगलवार रात करीब 12 बजे परिवहन मंत्री Dayashankar Singh कटहरनाला पर बने पुल के पास पहुंचे, जहां उन्हें जानकारी मिली कि बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के ही पुल खोल दिया गया है। मौके पर मौजूद लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को देखते ही मंत्री भड़क उठे और तीखे शब्दों में कहा, “दिमाग खराब न हो, यहां का विधायक और मंत्री मैं हूं। हमें बताए बिना पुल खोल दिया गया? तुम किसके कहने पर काम कर रहे हो?”
उन्होंने परोक्ष रूप से आरोप लगाया कि यह सारा घटनाक्रम बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के इशारों पर किया गया है। दयाशंकर सिंह ने व्यंग्य करते हुए पूछा, “क्या तुम यहां से चुनाव लड़ने वाले हो? बसपा टिकट देने वाली है क्या?”
मंत्री ने उठाए विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल
मंत्री Dayashankar Singh ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अधिकारियों ने पहले कहा था कि पुल का परीक्षण बाकी है और उद्घाटन की अनुमति नहीं मिली है, लेकिन अब इसे चुपचाप खोल दिया गया। उन्होंने कहा, “हमने कई बार अनुरोध किया कि उद्घाटन जल्दी कराएं क्योंकि लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है। लेकिन न हमने सुना गया, न ही कोई सूचना दी गई।”
उन्होंने आगे कहा कि पीडब्ल्यूडी की विश्वसनीयता पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2015 से अब तक एक नाला तक नहीं बना, जबकि भुगतान पहले ही हो चुका है। मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि इस सरकार में कोई अधिकारी इतना ‘पावरफुल’ कैसे हो सकता है कि वह विधायक, मंत्री और नगर पालिका अध्यक्ष को नजरअंदाज करे?
शिकायत जाएगी ऊपर तक
दयाशंकर सिंह ने स्पष्ट कहा कि वह इस पूरे मामले की शिकायत ऊपर तक करेंगे। उन्होंने कहा कि यह घटना सिर्फ एक पुल के बिना उद्घाटन खुलने की नहीं, बल्कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और अधिकारियों की मनमानी का प्रतीक है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं की गई, तो ऐसे उदाहरण सरकारी कार्यसंस्कृति को कमजोर करेंगे।