लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। एक खबर एकाएक सोशल मीडिया पर वायरल होती है, जिसमें दावा किया जाता है कि एशिया का सबसे बड़ी पुलिस परीक्षा का पेपर लीक हो गया। खबर टीवी चैनलों के पास पहुंचती है तो डिबेट का सिलसिला शुरू हो जाता है। जानकारी सरकार को होती है तो एक्शन में सीएम योगी आदित्यनाथ आ जाते हैं और तत्कालीन डीजीपी प्रशांत कुमार को तलब कर लेते हैं। दोनों के बीच मंथन होता है और आखिरकार परीक्षा को रद्द कर दिया जाता है। सीएम योगी के आदेश पर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया को कराए जानें को लेकर तब के डीजीपी प्रशांत कुमार जुट जाते हैं। मौजूदा डीजीपी राजीव कृष्णा को भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष बनाते हैं। आखिरकार वह तारीख आ जाता है, जब परीक्षा निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो जाती है। और अब वह दिन भी आ गया, जब चयनित अभ्यर्थियों को देश के गृहमंत्री अमित शाह नियुक्ति पत्र देकर आईपीएस प्रशांत कुमार के सपने को साकार कर दिया।
देश के गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ ने ररिवार को यूपी सिपाही में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पद सौंपे। नौकरी मिलने से युवा-युवतियों के चेहरे खिल उठ़े। सबने एक स्वर में सीएम योगी आदित्यनाथ, पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार और मौजूदा डीजीपी राजीव कृष्णा को थैंक्यू कहा। इन्हीं तीनों के चलते फेराफेरी के बाद एशिया का सबसे बड़ी यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा बेदाग तरीके से संपन्न हुई। जिन्हें नियुक्ति पत्र में मिले वह खुश और जिन्होंने सौंपे वह भी गदगद। इनसब के गृहमंत्री अमित शाह द्धारा नियुक्ति पत्र देने से पहले पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार का एक इंटरव्यू अखबार पर प्रकाशित होता है। इस इंटरव्यू में पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए। साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे सरकारी भर्ती परीक्षा यूपी में एक उद्योग के तौर पर संचालित होती थीं।
पूर्व डीजीपी ने कहा है कि किसी भी लोकतंत्र में, निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं होती, बल्कि यह एक पीढ़ी के भविष्य के निर्माण के लिए एक आधारभूत स्तंभ भी होती है। प्रशांत कुमार ने कहा कि लाखों युवाओं के लिए, खास तौर पर कम प्रतिनिधित्व वाले या आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से सरकारी नौकरियां रोजगार से कहीं बढ़कर हैं। यह सम्मान, सुरक्षा और सामाजिक उन्नति का प्रतीक हैं। पूर्व डीजीपी इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब भर्ती केवल योग्यता के आधार पर होती है, तो इससे जनता का विश्वास मजबूत होता है। यह सुनिश्चित होता है कि संस्थानों में सक्षम व्यक्ति हों और कानून का शासन कायम रहे। भर्ती में पारदर्शिता और निष्पक्षता न केवल व्यक्तियों के जीवन को आकार देती है, बल्कि राज्य की नैतिक विश्वसनीयता को भी मजबूत करती है।
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा 2017 से पहले के हालात का जिक्र करते हुए पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई पुलिस भर्ती की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक इच्छाशक्ति, संस्थागत सुधार और प्रौद्योगिकी का उपयोग सामूहिक रूप से एक ऐसी व्यवस्था को बदल सकता है। यह कभी अनियमितताओं से ग्रस्त थी। उसे विश्वास और दक्षता के मॉडल में बदल सकती है। पूर्व डीजीपी ने कहा कि 2017 से पहले यूपी के विकास की गति अपर्याप्त कानून व्यवस्था, असंगत औद्योगिक नीति और मजबूत राजनीतिक संकल्प की कमी के कारण बाधित थी। ऐसे परिदृश्य में, सरकारी रोजगार विशेष रूप से पुलिस और सार्वजनिक सेवाओं में, युवाओं की कुछ विश्वसनीय आकांक्षाओं में से एक बन गया। प्रशांत कुमार ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में भर्ती लंबे समय से विवादों से घिरी रही है। पुलिस भर्ती भी इसका अपवाद नहीं थी।
पूर्व डीजीपी ने कहा, जनता के विश्वास और संस्थागत विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए, सरकार ने 2 दिसंबर, 2008 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड की स्थापना की। गैर-राजपत्रित पुलिस पदों के लिए निष्पक्ष, कुशल और समयबद्ध भर्ती सुनिश्चित करने के लिए, बोर्ड ने सुधार पेश किए और अपने कामकाज के लिए एक पारदर्शी प्रणाली अपनाई। पूर्व डीजीपी ने कहा कि फिर भी जैसे-जैसे प्रक्रिया विकसित हुई, एक नई चुनौती सामने आई- संगठित धोखाधड़ी रैकेट का उदय। ये सिंडिकेट प्रश्नपत्र लीक करने, प्रतिरूपण की सुविधा प्रदान करने और प्रश्नपत्रों की छपाई से लेकर वितरण तक परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाने में माहिर थे। ़पूर्व डीजीपी ने कहा कि वर्ष 2017 में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब व्यवस्था को साफ करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ-साथ संस्थागत सुधार की लहर भी आई।
पूर्व डीजीपी ने कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने और तथाकथित ‘नकल माफिया’ के शासन को समाप्त करने के लिए साहसिक कदम उठाए। इन अंतर-राज्यीय रैकेट को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) जैसी विशेष इकाइयों को लाया गया। आधुनिक तकनीक, सख्त जवाबदेही और अंतर-एजेंसी समन्वय नए दृष्टिकोण के केंद्रीय स्तंभ बन गए। प्रशांत कुमार ने कहा कि इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह थी, सरकार की कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति- निर्णायक और निडरता से। अनियमितताओं से जुड़ी छोटी से छोटी शिकायत की भी गहन जांच की गई। जरूरत पड़ने पर पूरी परीक्षाएं रद्द कर दी गईं और दोबारा आयोजित की गईं।
पूर्व डीजपी ने भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस का जिक्र करते हुए कहा कि इसने एक मजबूत संदेश दिया, योग्यता और ईमानदारी पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह अतीत से एक साहसिक प्रस्थान था और राज्य के राजनीतिक नेतृत्व का प्रतिबिंब था। ईमानदारी के प्रति इस प्रतिबद्धता की परीक्षा 2023 की पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान हुई। शुरुआती दौर में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों के कारण राज्य को परीक्षा रद्द करनी पड़ी। जल्दबाजी में आगे बढ़ने के बजाय सरकार ने प्रक्रिया को और मजबूत करने का विकल्प चुना। प्रशांत कुमार ने कहा कि परीक्षा केंद्रों की सावधानीपूर्वक जांच की गई। उम्मीदवारों का बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया गया। पेपर-सेटिंग और परिवहन के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई। सभी केंद्रों पर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात किए गए और मोबाइल इकाइयों ने किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की। सीसीटीवी निगरानी ने परीक्षा और प्रश्नपत्र लॉजिस्टिक्स दोनों पर नजर रखी।
पूर्व डीजीपी ने कहा कि परीक्षा संचालन का पैमाना अभूतपूर्व था। 15 लाख से अधिक महिलाओं सहित 48 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा में भाग लिया। यह 67 जिलों के 1174 केंद्रों पर पांच दिनों और 10 शिफ्टों में आयोजित किया गया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी उम्मीदवार पर अनुचित बोझ न पड़े, सरकार ने मुफ्त परिवहन की भी व्यवस्था की। खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने रद्द की गई परीक्षा के लिए पहले यात्रा की थी। पहले से चिह्नित या संदिग्ध केंद्रों पर कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई। प्रशांत कुमार ने कहा कि 13 मार्च 2025 को 12,048 महिलाओं सहित 60,255 सफल उम्मीदवारों के परिणाम घोषित किए गए। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पैमाने और प्रक्रियात्मक अखंडता दोनों के संदर्भ में सबसे बड़ी पुलिस भर्ती थी। इस उपलब्धि का श्रेय राज्य सरकार और पुलिस विभाग दोनों को जाता है, जिन्होंने इस प्रक्रिया को न केवल कुशल बल्कि प्रेरक बनाने के लिए अथक प्रयास किया।
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह भी उतना ही उल्लेखनीय है। कांस्टेबलों के इतने बड़े बैच को प्रशिक्षित करने की चुनौती थी। पहली बार 60,000 से अधिक भर्तियां एक साथ साल भर की पुलिस ट्रेनिंग से गुजरेंगी। यह एक ऐसा तार्किक कारनामा है, जिसके लिए विभाग ने सावधानीपूर्वक योजना और सरकारी समर्थन के साथ तैयारी की है। पूर्व डीजीपी ने कहा अब इन चयनित उम्मीदवारों को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में केंद्रीय गृह मंत्री से नियुक्ति पत्र प्राप्त होंगे। यह एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। पूर्व डीजीपी ने कहा कि यह केवल एक औपचारिक समारोह नहीं होगा, बल्कि यह इस बात की एक सशक्त याद दिलाएगा कि जब योग्यता चालाकी पर विजय पाती है तो क्या संभव है। भर्ती होने वाले उम्मीदवारों और उनके परिवारों के लिए, यह बहुत गर्व का क्षण होगा।