(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। पुरानी कहावत है काम के ना काज के दुश्मन अनाज के…अब साहब यूपी में पुलिस के कुछ आला अधिकारियों (UP Police) की हालत पतली है और उन अफसरों कहावत बदलकर कहने वाले तो यहां कह रहे है कि काम के ना काज के और ये ‘अफसर’ आराम के…एक नहीं दो बल्कि 7 सीनियर आईपीएस अधिकारी खाली बैठे है। उनके पास ना तो कोई काम है और ना ही कोई काज बस अगर कुछ है तो वो है आराम औरमं आराम।
ऐसा नहीं है कि ये अधिकारी खुद से आराम करना चाहते है। बल्कि इनके साथ उल्टा हो रहा है इनको आराम सरकार करा रही है।अंदरखाने की खबर ये है कि आरामतलबी से परेशान आ चुके ये 7 सीनियर आईपीएस (UP Police) ऑफिसर तैनाती के लिए जुगत लगा रहे है। अब परेशान हो भी क्यों ना क्योंकि पुलिस विभाग के ये सीनियर अफसर पॉवर में नहीं है। डीजी, आईजी और डीआईजी रैंक के इन 7 अधिकारियों में से 3 वेटिंग में है और 4 डीजीपी मुख्यालय से अटैच है। इन्हीं अफसरों की फेहरिस्त में एक सीनियर आईपीएस दंपति भी है।
आखिर क्यों सीनियर आईपीएस अधिकारियों को नहीं मिली तैनाती
हम आपको सिलसिलेवार तरीके से उन सीनियर आईपीएस अधिकारियों (UP Police) के बारें में बताते है जो पॉवर में नहीं है। बस नाम और रैंक के अधिकारी है। 27 जनवरी को केन्द्रिय प्रतिनियुक्ति से लौटे 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर आदित्य मिश्रा फिलहाल घर बैठे है यानि को वेटिंग में डाल रखा है जबकि उनकी आईपीएस पत्नी रेणुका मिश्रा डीजीपी मुख्यालय से अटैच है, उनके पास कोई रेगुलर काम नहीं है बता दें कि रेणुका मिश्रा को 4 मार्च 2024 को यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद हटा दिया गया था। वेटिंग लिस्ट में डीआईजी देवरंजन वर्मा भी है। ये वहीं देवरंजन वर्मा है जिनको बलिया में अवैध वसूली कांड में हटाया गया था। हालाकि उनको 1 जनवरी 2025 को प्रमोशन देकर डीआईजी तो बना दिया लेकिन उनका वेटिंग नंबर नहीं हटाया।
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वहीं प्रमोशन पाकर (UP Police) भी वेटिंग में है 2009 बैच के आईपीएस अतुल शर्मा प्रयागराज मे बतौर एसएसपी रहते हुए भ्रष्टाचार के तमाम बड़े आरोप लगे, विभागीय जांच बैठी। सस्पेंड कर दिए गए लेकिन सरकार ने विभागीय कार्रवाई को खत्म कर दिया और प्रमोशन दे दिया लेकिन प्रतीक्षा की कुर्सी से नहीं हटाया। हैरान कर देने वाला नाम 2004 बैच के आईपीएस, फील्ड में काम करने का लंबा अनुभव रखने वाले और तकरीबन 10 साल तक अलग अलग ज़िलों में पुलिस कप्तान रहने वाले प्रीतिंदर सिंह है। 9 जनवरी 2024 को प्रीतिंदर सिंह को आगरा पुलिस कमिश्नर के पद से हटाकर डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया था और उनको करीब एक साल हो गया है। प्रीतिंदर सिंह के अलावा डीआईजी हिमांशु कुमार और दिनेश सिंह भी डीजीपी मुख्यालय से अटैच है.इनको भी नई तैनाती का इंतज़ार है।
वेटिंग और अटैच में क्या होता है अंतर
दरअसल सबसे बड़ी बात ये है कि वेटिंग और अटैचमेंट में अफसर के पास कोई काम ही नहीं होता है। वेटिंग के दौरान अधिकारी किसी भी इकाई का हिस्सा नहीं होता है इसलिए उसको कोषागार से वेतन नहीं मिलता जबकि अटैचमेंट में अधिकारी को वेतन मिलता है। ये तो फलसफा 7 सीनियर आईपीएस ऑफिसर का है। इसके अलावा नई तैनाती का इंतज़ार उन 18 अधिकारियों को भी है जिनका प्रमोशन 1 जनवरी 2025 को हो गया था। लखनउ रेंज के आईजी प्रशांत कुमार का प्रमोशन एडीजी रैंक पर हो चुका है नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का भी प्रमोशन एडीजी रैंक पर हो चुका है लेकिन अभी तक उनको तैनाती नहीं मिली है। जबकि पांच जिलों के पुलिस कप्तान डीआईजी रैंक पर प्रमोट हो चुके है लेकिन अभी तक वो जनपदों में पुलिस कप्तान का ही पदभार संभालें हुए है।