यूपी पुलिस का ‘डिजिटल प्रहार’: अब बिना नाम बताए वॉट्सऐप से फंसाएं अपराधी!

वाराणसी रेंज पुलिस ने 'पुलिस सतर्क मित्र' व्हाट्सएप बॉट सेवा शुरू की है। इसके जरिए जनता बिना अपनी पहचान उजागर किए अवैध गतिविधियों की जानकारी सीधे पुलिस तक पहुंचा सकती है। यह तकनीक अपराधियों पर नकेल कसने और नागरिकों की गोपनीयता सुरक्षित रखने में क्रांतिकारी कदम है।

Varanasi Range WhatsApp Bot

Varanasi Range WhatsApp Bot: वाराणसी पुलिस ने अपराध पर अंकुश लगाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए उत्तर प्रदेश का पहला ‘व्हाट्सएप बॉट’ (पुलिस सतर्क मित्र) लॉन्च किया है। डीआईजी रेंज वैभव कृष्ण द्वारा शुरू की गई इस पहल का मुख्य उद्देश्य आम जनता को बिना किसी डर के अवैध गतिविधियों की सूचना देने के लिए सशक्त बनाना है। इस बॉट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सूचना देने वाले का मोबाइल नंबर या पहचान पुलिस के पास भी नहीं जाएगी, जिससे पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित होती है।

नागरिक 7839860411 पर ‘Hi’ लिखकर या क्यूआर कोड स्कैन करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह सिस्टम स्वचालित रूप से सूचनाएं एकत्र कर Varanasi संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक और डीआईजी कार्यालय को भेजता है, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी।

कैसे काम करेगा ‘पुलिस सतर्क मित्र’ बॉट?

यह डिजिटल हथियार बेहद सरल और प्रभावी तरीके से काम करता है:

  1. संपर्क: यूजर को व्हाट्सएप नंबर 7839860411 पर संदेश भेजना होगा या सार्वजनिक स्थानों पर लगे QR Code को स्कैन करना होगा।

  2. भाषा और विकल्प: ‘Hi’ भेजने पर बॉट भाषा का चुनाव पूछेगा और फिर अवैध गतिविधियों (जैसे नशा, जुआ, अवैध निर्माण आदि) की सूची देगा।

  3. सूचना साझा करना: नागरिक टेक्स्ट, फोटो, वीडियो या ऑडियो के माध्यम से साक्ष्य भेज सकेंगे।

  4. स्वचालित गोपनीयता: सिस्टम को इस तरह बनाया गया है कि भेजने वाले का नंबर बैकएंड पर दिखाई नहीं देता।

  5. कार्रवाई और फीडबैक: सूचना सीधे एसपी और डीआईजी कार्यालय के डैशबोर्ड पर जाएगी। कार्रवाई होने के बाद सूचना देने वाले को बॉट के जरिए स्वतः अपडेट भी मिल जाएगा।

Varanasi पुलिस सतर्क मित्र के मुख्य लाभ

  • पहचान की सुरक्षा: पुलिस को भी यह पता नहीं चलेगा कि सूचना किसने दी है।

  • हॉटस्पॉट की पहचान: बैकएंड डैशबोर्ड के जरिए पुलिस अवैध गतिविधियों के ‘हॉटस्पॉट्स’ का विश्लेषण कर सकेगी।

  • पारदर्शिता: कार्रवाई का विवरण और फोटो वापस सिस्टम में अपलोड किए जाएंगे, जिससे जवाबदेही तय होगी।

  • आसान पहुंच: थानों और सार्वजनिक स्थलों पर क्यूआर कोड लगाकर इसे आम जन के लिए सुलभ बनाया जा रहा है।

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