BJP Brahmin MLA Meeting: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर जातिगत गोलबंदी की सुगबुगाहट तेज हो गई है। लखनऊ में बीजेपी विधायक पीएन पाठक के आवास पर हुई ब्राह्मण विधायकों की ‘बाटी-चोखा’ बैठक ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। हालांकि इसे एक अनौपचारिक मिलन बताया जा रहा है, लेकिन गलियारों में चर्चा है कि क्या यह कुछ महीनों पहले हुई ठाकुर विधायकों की ‘कुटुंब’ बैठक का जवाब है? उत्तर प्रदेश के सियासी भविष्य और सत्ता संतुलन को समझने के लिए यह खबर अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें शामिल चेहरों का कद साधारण नहीं है।
यूपी के ब्राह्मण विधायकों की एकजुटता ने यूपी में खलबली मचा दी है।
करीब 40 से 50 ब्राह्मण विधायकों का जुटान 22 दिसंबर को हुआ और नाम दिया गया लिट्टी चोखे का सहभोज लेकिन इस “चोखे” ने पूरी यूपी में हलचल मचा दी है।
दरअसल विधानसभा सत्र के दौरान कुछ विधायकों ने कुशीनगर से बीजेपी… pic.twitter.com/37v57zNuO6— यतेन्द्र शर्मा @YatendraMedia (@YatendraMedia) December 24, 2025
पुरानी रंजिश और नई खिचड़ी
उत्तर प्रदेश में जब भी सत्ता के समीकरण बदलते हैं, तो ब्राह्मण और ठाकुर समुदायों के बीच की अंदरूनी खींचतान सतह पर आ जाती है। कुछ महीने पहले ही लखनऊ के एक आलीशान होटल में करीब 40 ठाकुर विधायकों ने ‘कुटुंब’ नाम से एक गुप्त बैठक की थी, जिसमें सपा के बागी विधायक भी शामिल हुए थे। अब ठीक उसी तर्ज पर बीजेपी विधायक पीएन पाठक के घर पर ब्राह्मण चेहरों का एकजुट होना महज इत्तेफाक नहीं लगता।
क्या यह शक्ति संतुलन (Checks and Balances) की एक सोची-समझी कोशिश है? जानकार मानते हैं कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले हर खेमा अपनी ताकत को तौल रहा है।
पीएन पाठक का दावा और पर्दे के पीछे की सच्चाई
BJP Brahmin MLA Meeting के सूत्रधार पीएन पाठक ने इसे पूरी तरह गैर-राजनीतिक करार दिया है। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ साथ बैठकर भोजन करना चाहते थे। इसका 2027 या ठाकुर विधायकों की बैठक से कोई लेना-देना नहीं है।” लेकिन राजनीति में जब चार दर्जन विधायक एक साथ बैठते हैं, तो वह ‘भजन’ के लिए नहीं बल्कि ‘वजन’ के लिए होता है। बैठक में नृपेंद्र मिश्र के बेटे साकेत मिश्र और शलभमणि त्रिपाठी जैसे प्रभावशाली नामों की मौजूदगी ने इसके महत्व को दोगुना कर दिया है।
विपक्ष के आरोप और सत्ता का रुख
विपक्ष ने इस BJP Brahmin MLA Meeting को बीजेपी की हार का डर बताया है। सपा विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि ब्राह्मण विधायकों की यह एकजुटता इस बात का संकेत है कि अब बीजेपी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। दूसरी ओर, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस पर सधा हुआ रुख अपनाते हुए कहा कि विधायकों को आपस में मिलते रहना चाहिए और इसे जाति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
क्या ब्राह्मणों का ‘चिंतन’ योगी सरकार के लिए चुनौती है?
विधायक रत्नाकर मिश्रा ने इस BJP Brahmin MLA Meeting को ‘चिंतन बैठक’ का नाम दिया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की। लेकिन सवाल फिर वही उठता है—अगर सब कुछ ठीक है, तो आखिर इन अलग-अलग ‘जातिगत कुटुंबों’ की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्या लखनऊ में सत्ता के किसी नए केंद्र की नींव रखी जा रही है, या यह सिर्फ अपने अस्तित्व को बचाने की एक कवायद है?



