लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश में अगामी विधानसभा को लेकर अभी से सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जीत-हार के लिए राजनीतिक दलों के नेता रणनीति बनाने में जुट गए हैं। संगठन को धार देने के साथ ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी हो गया है। इनसब की बीच ऐसी खबरें चल रही हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान पार्टी से नाराज हैं और कभी भी बगावत कर सकते हैं। मंगलवार को जिस तरह से आजम खां का पत्र वायरल हुआ, इसी के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में सूबे की राजनीति में बड़े उलटफेर देखनेको मिल सकते हैं।
2027 को लेकर बुना जा रहा जाल
दरअसल, 2027 यूपी विधानसभा को लेकर सूबे के क्षेत्रीय दल खासे एक्टिव हैं। जबकि समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव में उतर सकती है। ऐसे में अब क्षेत्रीय दल के नेता प्रदेश हसिए पर चल रहे पूराने नेताओं को अपने पाले में लाकर बड़े दलों के खेल बिगाड़ने के मिशन में जुट गए हैं। इसी कड़ी में आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मुलाकात की थी। इसके अलावा वह आजम खान के बेटे से भी मिले। संसद में भी आजम खान का मुद्दा उठाया और आंदोलन करने की धमकी दी। चंद्रशेखर के अलावा असदुद्दीन ओवैसी भी आजम खान से जेल में जाकर मुलाकात कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि संसद के सत्र के समापन के बाद ओवैसी यूपी आएंगे और सीतापुर जाकर आजम खान से मिलेंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में यूपी की सियासत, खासकर सपा में भूचाल लाने वाले हो सकते हैं।
तो क्या अखिलेश-आजम के बीच अनबन
उपचुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव 11 नवंबर को आजम खान के परिवार से मिले थे। करीब आधे घंटे तक आजम के परिवार के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने पूरा साथ देने का वादा किया था। पर आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि समाजवादी पार्टी या इंडी गठबंधन के लोगों ने उनका उस हद तक साथ नहीं दिया, जिसके वह हकदार थे। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकटों के बंटवारे और खासकर रामपुर के टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी ने आजम खान को नजर अंदाज किया। सपा ने आजम खान के गढ़ में उस व्यक्ति को टिकट दिया, जो तुर्क बिरादरी से संबंध रखता है। इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को आजम खान का विरोधी माना जाता है। आजम खान के विरोध के बाद भी नदवी 90 हजार से ज्यादा वोटों से जीत कर संसद पहुंच गए।
आजम खान ने नाराजगी जाहिर की थी
कुंदरकी उपचुनाव के दौरान जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रचार करने मुरादाबाद गए, उस समय वह आजम खान के घर भी गए थे। अखिलेश यादव के साथ वे लोग भी थे, जिन्हें आजम देखना भी पसंद नहीं करते। इसे लेकर भी आजम ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि जिस शिद्दत के साथ सदन से सड़क तक उनके मामलों को लेकर समाजवादी पार्टी को उतरना चाहिए था, वो नहीं उतरी। इसी के कारण रामपुर जिलाध्यक्ष के माध्यम से आजम खान ने संदेश जारी करवाया। पत्र वायरल होने के बाद यूपी का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कयासों का दौर जारी है। जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में यूपी में एक बड़ा सियासी फ्रंट देखने को मिल सकता है। फ्रंट में आजम खान की परिवार भी होगा।
क्या गुल खिलाएगी तिकड़ी
राजनीति के जानकार बताते हैं कि नगीना लोकसभा सीट जीतकर राजनीति में दस्तक दे चुकी चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी यूपी में पैठ बनाना चाहती है। वह अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठजोड़ की तैयारी कर रही है। चंद्रशेखर आजाद नगीना सीट से सांसद हैं। 21 नवंबर को उन्होंने आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी। वहीं आजम खान को साथ लेकर ओवैसी 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलट-फेर करने की तैयारी कर रहे हैं। आजम, चंद्रशेखर और ओवैसी की तिकड़ी क्या गुल खिलाएगी, यह तो समय बताएगा। लेकिन, कहा यह जा रहा है कि 2027 के चुनाव में यह सभी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। इस फ्रंट में सपा,बसपा से किनारा कर चुके कई दिग्गज चेहरे होंगे।
सपा से अलग होने के बाद भी नहीं बनाया दल
आजम खान मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी नेता रहे हैं। आजम इससे पहले भी सपा से नाता तोड़ चुके हैं। लेकिन, वे मुलायम सिंह के मनाने पर दोबारा पार्टी में वापस आ गए थे। हालांकि, समाजवादी पार्टी से दूर रहने के दौरान उन्होंने न तो कोई दल बनाया और न ही किसी दल में शामिल हुए थे। आजम खान के करीबियों को उम्मीद है कि वह जल्द जेल से बाहर आएंगे। जो भी मामले अदालत में लंबित हैं, उनसे राहत मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है। आजम खान के एक करीबी ने बताया कि जो वह निर्णय लेंगे, वह हमसभी को मान्य होगा। करीबी ने कहा कि हां आजम खान का साथ किसी ने नहीं दिया। जिसकी पीणा आजम खान के अलावा उनके समर्थकों को भी है।
कानूनी पचड़ों से मिल सकती है राहत
राजनीति के जानकार बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोट एकतरफा समाजवादी पार्टी के पक्ष में पड़ा। ऐसे में बीजेपी चाहती है कि इस वोट बैंक में बंटवारा हो। इसके लिए चंद्रशेखर, ओवैसी और आजम खान का सहारा लिया जा सकता है। ऐसा होता है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में आजम खान को कानूनी पचड़ों से थोड़ी राहत मिलेगी। संभव है कि वह जेल से बाहर भी आ जाएं। आजम खान के पत्र आने के बाद फिलहाल सपा की तरफ से कोई बयान नहीं आया। सपा नेताओं का कहना है कि आजम खान को लेकर पार्टी संसद से लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है। आजम खान सपा के साथ हैं और आगे भी वह पार्टी को मजबूत करेंगे।
आजम खान का पत्र हुआ था वायरल
आजम खान ने पत्र के जरिए एक संदेश जारी करवाया। जिसमें उन्होंने कहा, मुस्लिमों पर इंडी गठबंधन स्टैंड क्लियर करे, यही हाल रहा तो मुसलमानों को सोचना पड़ेगा। उन्होंने गठबंधन पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया। कहा सपा रामपुर में हुए जुर्म और बरबादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं, जितना संभल का उठाया। रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ। इस पर इंडी गठबंधन खामोश रहा। ऐसा ही रहा तो मुसलमानों के भविष्य के बारे में हम लोगों को सोचना पड़ेगा।
अब जानें आजम खान के बारे में
आजम खान ने 1980 में रामपुर के नवाब से मुकाबला करने के लिए बीड़ी, कपड़ा मजदूरों और रिक्शा चालकों की यूनियन बनाई। जिसने जिले में आजम खान को पहचान दिलाई। आजम खान 1980 में पहली बार जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे। फिर सपा बनी तो मुलायम सिंह यादव के साथ आ गए। आजम खान रामपुर से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। अमर सिंह से विवाद के बाद उन्होंने 2009 में सपा से इस्तीफा दे दिया था। करीब डेढ़ साल पार्टी से बाहर रहने के बाद दिसंबर, 2010 में दोबारा समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। 2012 में आजम खान अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री बनाए।
आजम खान पर 108 मुकदमे
बता दें, आजम खान फरवरी, 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं। आजम खान पर 108 मुकदमे दर्ज हैं। आजम खान पर जमीन कब्जाने से लेकर बकरी और किताब चोरी तक के 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें 9 मामलों में फैसला भी आ चुका है। जिसमें 6 में सजा सुनाई गई है और 3 में बरी हो चुके हैं। आजम खान पर 2019 में ताबड़तोड़ 84 मामले दर्ज हुए थे। इसमें से ज्यादातर मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। आजम खान के छोटे बेटे भी जेल में बंद हैं। पत्नी जमानत पर जेल से बाहर आई हैं।