UP Governor: ‘अफसरों के लिए गुलदस्ता नहीं, फल-लड्डू लेकर आएं’, यूपी की राज्यपाल का अनोखा फरमान

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोगों से अपील की है कि वे अधिकारियों से मिलने पर फूलों के गुलदस्ते की बजाय फल, पोषण पोटली और तिल-बाजरे के लड्डू लेकर आएं। उन्होंने इन्हें टीबी रोगियों में वितरित करने का सुझाव दिया, जिससे पोषण स्तर सुधरे।

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UP Governor Anandiben Patel: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक अनोखा संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अधिकारियों से मुलाकात के दौरान फूलों के गुलदस्ते की बजाय फल, पोषण पोटली, और तिल-बाजरे के लड्डू लेकर आएं। राज्यपाल ने यह सुझाव शाहजहांपुर में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि ये पोषक सामग्री टीबी रोगियों को वितरित की जानी चाहिए, ताकि उनके पोषण स्तर में सुधार हो सके। राज्यपाल के इस कदम को एक सामाजिक और स्वास्थ्य-उन्मुख पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो लोगों को पोषण और जागरूकता के प्रति प्रेरित करता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष जोर

UP Governor ने बैठक में स्वास्थ्य और शिक्षा को आपस में जोड़ते हुए विभागों को समन्वय के साथ काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल तक सभी स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, उन्होंने एक संयुक्त ऐप विकसित करने की बात कही, जिससे योजनाओं की निगरानी बेहतर ढंग से हो सके।

आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया तेज करने पर भी जोर दिया गया। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के अस्पतालों में प्रसव को प्राथमिकता देने और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के विश्लेषण के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद मृत्यु दर के कारणों का पता लगाना बेहद जरूरी है।

टीबी रोगियों के लिए विशेष पहल

UP Governor ने टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए औद्योगिक क्षेत्र, संगठनों और बैंकों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने बालिकाओं के लिए एचपीवी वैक्सीन अभियान तेज करने और कैंसर से बचाव की दिशा में काम करने की बात कही।

जिलाधिकारी की पहल को सराहा

आनंदीबेन पटेल ने शाहजहांपुर के जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह की उस पहल की सराहना की, जिसमें कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राओं को अपने निवास पर भोजन उपलब्ध कराया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जाना चाहिए।

राज्यपाल के इन निर्देशों को सामाजिक और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। यह न केवल अधिकारियों से मुलाकात का नजरिया बदलता है, बल्कि लोगों को समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करता है।

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