UP SIR 4 Crore Voters: उत्तर प्रदेश में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि SIR प्रक्रिया के तहत अब तक करीब 12 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं, जबकि यूपी की अनुमानित आबादी (25 करोड़ से अधिक) के हिसाब से यह संख्या कम से कम 16 करोड़ होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि 2024 की मतदाता सूची में 15.44 करोड़ मतदाता थे, लेकिन SIR में 4 करोड़ नाम हटाए गए, जिनमें अधिकांश “हमारे मतदाता” थे। इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को शेष दो हफ्तों में छूटे हुए योग्य मतदाताओं के नाम जोड़ने के निर्देश दिए हैं।
अखिलेश यादव ने लगाए गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री के UP SIR बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री स्वयं यह स्वीकार कर रहे हैं कि SIR के दौरान हटाए गए 4 करोड़ मतदाताओं के नाम में से 85 से 90 प्रतिशत भाजपा के समर्थक थे।
अखिलेश यादव ने इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ बताते हुए छह प्रमुख निष्कर्ष निकाले, जिनमें मुख्य हैं:
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‘पीडीए प्रहरी’ की सतर्कता के कारण भाजपा मनमाफिक गड़बड़ी नहीं कर पाई।
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हटाए गए अधिकांश मतदाता भाजपा समर्थक थे, यानी गड़बड़ी उनकी ओर से थी।
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गणित के अनुसार, करीब 3 करोड़ 40 लाख भाजपा मतदाता कम हो गए हैं।
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इससे आगामी विधानसभा चुनाव की 403 सीटों पर असर पड़ेगा, जिसमें प्रति सीट भाजपा को लगभग 84,000 वोटों का नुकसान हुआ है।
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यह गणना दर्शाती है कि भाजपा चुनावी रेस से बाहर हो रही है, जबकि यह ‘पीडीए की जीत का अंकगणित’ है।
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उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिए जाने पर भी सवाल उठाते हुए इसे सत्ताधारी दल के संभावित नुकसान को कम करने की कोशिश बताया।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने भी मुख्यमंत्री के बयान को ‘पीडीए प्रहरी’ की चौकसी का प्रमाण बताया और कहा कि सपा अंतिम समय में भी गड़बड़ी रोकने के लिए दोगुनी सतर्कता बरतेगी।
सत्ता पक्ष और सहयोगी दलों का बचाव
वहीं, सत्तारूढ़ दल और उनके सहयोगी दलों ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है।
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ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), ने कहा कि सपा भले ही अभी खुश हो, लेकिन असली परीक्षा 2027 के चुनाव में होगी। उन्होंने SIR के तहत हटाए गए नामों को मृतक या प्रदेश छोड़कर जा चुके लोगों का बताया।
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दानिश आजाद अंसारी, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री, ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि SIR प्रक्रिया का एकमात्र उद्देश्य निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है, ताकि केवल योग्य मतदाता ही मतदान कर सकें। उन्होंने सपा पर भ्रम फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
फिलहाल, मुख्यमंत्री के UP SIR बयान और उसके बाद अखिलेश यादव UP SIR की प्रतिक्रिया ने SIR अभियान को उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति के केंद्र में ला दिया है। अब देखना यह है कि निर्धारित दो हफ्तों के अतिरिक्त समय में मतदाता सूची में कितने नाम जुड़ पाते हैं और यह आंकड़ा आगामी चुनावों में क्या प्रभाव डालता है।
