आधी उम्र सेवा में गुजरी, पर अंत में मिला सिर्फ इंतज़ार; प्रमोशन का सपना लिए रिटायर हो गईं यूपी की शिक्षिकाएं।

उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की हजारों शिक्षिकाएं प्रशासनिक ढिलाई की बलि चढ़ रही हैं। पिछले ढाई साल से 'गोपनीय आख्या' न मिलने के कारण पदोन्नति की फाइल अटकी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों शिक्षिकाएं बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गईं।

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UP Teacher Promotion News: उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में वर्षों से अपनी सेवाएँ दे रही महिला शिक्षकों के लिए पदोन्नति अब एक कड़वा सपना साबित हो रही है। शिक्षा निदेशालय और क्षेत्रीय अधिकारियों के बीच चल रही कागजी खानापूर्ति और प्रशासनिक सुस्ती ने इन शिक्षकों के करियर को अधर में लटका दिया है। पिछले ढाई साल से विभाग ‘गोपनीय आख्या’ (Confidential Report) जुटाने के नाम पर केवल चिट्ठियां लिख रहा है, जिसका खामियाजा उन दर्जनों समर्पित शिक्षिकाओं को भुगतना पड़ा है जो बिना पदोन्नति पाए ही रिटायर हो गईं। यह न केवल उनके आर्थिक अधिकारों का हनन है, बल्कि उनके वर्षों के परिश्रम और सम्मान पर भी एक बड़ा आघात है। शासन की इस हीलाहवाली ने योग्य शिक्षकों के मनोबल को तोड़कर रख दिया है।

विस्तृत समाचार: सिस्टम की सुस्ती और शिक्षकों का नुकसान

UP Teacher राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाओं की पदोन्नति की प्रक्रिया पिछले 30 महीनों से फाइलों में दबी हुई है। अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी ने अब छठी बार पत्र लिखकर 25 दिसंबर तक गोपनीय आख्या मांगी है। सबसे दुखद पहलू यह है कि विभाग ने जिन 1883 शिक्षिकाओं की सूची जारी की है, उनमें से बड़ी संख्या में शिक्षिकाएं पहले ही सेवानिवृत्त हो चुकी हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • दोषियों पर कार्रवाई की चेतावनी: एडी अजय कुमार द्विवेदी ने निर्देश दिया है कि यदि इस बार भी रिपोर्ट नहीं मिलती है, तो संबंधित दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।

  • लगातार अनदेखी: शिक्षा निदेशालय ने जुलाई 2023 से लेकर दिसंबर 2025 तक कुल छह बार रिमाइंडर भेजे, लेकिन निचले स्तर के अफसरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

  • प्रभावित जिले: ललितपुर, पीलीभीत, बरेली, बस्ती, बिजनौर, गाजियाबाद, प्रयागराज, वाराणसी, और लखनऊ सहित दर्जनों जिलों की शिक्षिकाएं इस लापरवाही का शिकार हुई हैं।

बिना पदोन्नति रिटायर होने वाली कुछ प्रमुख शिक्षिकाएं:

प्रयागराज की अनीता पांडेय, लखनऊ की राधा शुक्ला व कुसुम श्रीवास्तव, वाराणसी की पद्मावती देवी व पूनम सिंह, और पीलीभीत की रेखा चन्द जैसी कई वरिष्ठ शिक्षिकाओं ने पूरा जीवन विभाग को दिया, लेकिन अंत में उन्हें वह पद और सम्मान नहीं मिला जिसकी वे हकदार थीं।

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