UPPSC Prayagraj protest: प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसमें वे आयोग द्वारा प्रस्तावित एकाधिक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। छात्रों की प्रमुख मांग है कि यूपीपीसीएस प्री 2024 परीक्षा सभी 75 जिलों में एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए, ताकि नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता न पड़े। इसके साथ ही छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को भी अनुचित मानते हुए उसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक ही शिफ्ट में परीक्षा होने से सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित होगा और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।
यह विरोध 11 नवंबर 2024 को तब शुरू हुआ जब छात्रों का एक बड़ा समूह प्रयागराज स्थित UPPSC के कार्यालय के बाहर जमा हो गया। छात्रों ने हाथों में पोस्टर और बैनर लेकर अपनी मांगों का विरोध किया और नारेबाजी की। सुबह होते ही छात्रों ने बैरिकेड्स को तोड़कर आयोग के गेट नंबर 2 तक पहुंचने की कोशिश की। विरोध में शामिल छात्र उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए थे, जिनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा और दिल्ली के छात्र भी शामिल थे।
जैसे-जैसे दिन चढ़ा, प्रदर्शन और तेज हो गया। रात होते-होते छात्रों ने मोबाइल की लाइट जलाकर और खाली प्लास्टिक की बोतलें पीटकर अपना विरोध जताया। छात्रों का कहना था कि जब तक आयोग से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलता, तब तक वे विरोध खत्म नहीं करेंगे। सड़क और डिवाइडर पर बैठकर छात्र-छात्राएं अपनी मांगों को लेकर डटे रहे।
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छात्रों का कहना है कि आयोग ने UPPSC प्री 2024 की परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को विभिन्न जिलों में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है, जबकि आरओ और एआरओ 2023 की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को आयोजित करने की योजना है। लेकिन छात्रों का आरोप है कि अगर ये परीक्षाएं एक ही शिफ्ट में आयोजित नहीं होती हैं तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू होगी, जिससे उम्मीदवारों के अंकों में भेदभाव हो सकता है।
छात्रों ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि आयोग का यह निर्णय भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ है।
अब तक आयोग की ओर से छात्रों की मांगों को लेकर कोई आधिकारिक बयान या आश्वासन नहीं मिला है। हजारों छात्र अभी भी विरोध स्थल पर डटे हुए हैं और उनकी उम्मीदें कायम हैं कि आयोग जल्द ही उनकी मांगों पर विचार करेगा। परीक्षा की तारीखों पर आयोग का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, और यह देखना होगा कि क्या छात्रों का यह विरोध किसी बदलाव का कारण बनेगा