Voter List Major Update: राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। इस प्रक्रिया में लाखों वोटरों के नाम सूची से हटाए गए हैं। सबसे ज्यादा असर बड़े शहरों और मंडल मुख्यालयों में देखने को मिला है, जबकि छोटे जिलों में नाम कटने की संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
क्यों काटे गए इतने ज्यादा वोटरों के नाम?
चुनाव आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता पाए गए जिनके नाम दो जगह दर्ज थे। एक नाम उनके गांव या गृह जिले में और दूसरा नाम उस शहर में, जहां वे नौकरी, व्यापार या पढ़ाई के लिए रहते हैं।
एसआईआर प्रक्रिया के दौरान डबल एंट्री को लेकर सख्त जांच की गई। नियम साफ था कि एक व्यक्ति का नाम केवल एक ही जगह रह सकता है। इसी कारण दो जगह दर्ज नामों को हटाया गया।
गृह जिले को मिली प्राथमिकता
जांच और विश्लेषण में यह बात साफ सामने आई कि अधिकतर लोगों ने अपने गृह जिले को प्राथमिकता दी। जिन मतदाताओं के नाम लखनऊ, गाजियाबाद, कानपुर जैसे बड़े शहरों और उनके मूल गांव, दोनों जगह दर्ज थे, उन्होंने शहर की बजाय गांव की वोटर लिस्ट में नाम बनाए रखना बेहतर समझा।
इसी वजह से बड़े शहरों की मतदाता सूची में भारी गिरावट दर्ज हुई, जबकि छोटे जिलों में यह असर कम देखने को मिला।
सबसे कम नाम कहां कटे?
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन जिलों में सबसे कम वोटरों के नाम काटे गए, वे अधिकतर छोटे जिले हैं। महोबा में सबसे कम 85,354 मतदाताओं के नाम हटाए गए। इसके बाद हमीरपुर में 90,561, ललितपुर में 95,450 और चित्रकूट में करीब एक लाख नाम कटे।
श्रावस्ती में 1.34 लाख वोटरों के नाम हटाए गए। इन जिलों के लोग जो बाहर शहरों में काम करते हैं, उन्होंने अपने मूल जिले में वोट बनाए रखना ज्यादा सही समझा, इसलिए यहां नाम कटने की संख्या कम रही।
बड़े शहरों में क्यों आई ज्यादा गिरावट?
जिन टॉप-10 जिलों में सबसे ज्यादा वोटरों के नाम काटे गए हैं, उनमें लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर नगर, आगरा, गाजियाबाद, बरेली, मेरठ और गोरखपुर जैसे बड़े शहर शामिल हैं। ये सभी जिले मंडल मुख्यालय भी हैं।
इन शहरों में आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग नौकरी, रोजगार और पढ़ाई के लिए रहते हैं। जब बीएलओ ने एक ही जगह नाम रखने को कहा, तो अधिकतर लोगों ने अपने गृह जिले को चुना। इसका सीधा असर इन बड़े शहरों की वोटर लिस्ट पर पड़ा।
इन जिलों में सबसे ज्यादा वोटरों के नाम कटेंगे
लखनऊ में करीब 12 लाख वोटरों के नाम कटेंगे। प्रयागराज में 11.56 लाख, कानपुर नगर में 9.02 लाख, आगरा में 8.36 लाख और गाजियाबाद में 8.18 लाख नाम हटाए गए हैं।
इसके अलावा बरेली में 7.14 लाख, मेरठ में 6.65 लाख, गोरखपुर में 6.45 लाख, सीतापुर में 6.23 लाख और जौनपुर में 5.89 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं।
कुल मिलाकर एसआईआर की सख्ती ने मतदाता सूची को ज्यादा साफ और पारदर्शी बनाया है। इससे यह भी साफ हुआ है कि लोग आज भी अपने गांव और मूल जिले से जुड़ाव को ज्यादा अहम मानते हैं।





