वाराणसी: ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले की सुनवाई बुधवार को जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई. कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में आयोग की कार्यवाही आगे बढ़ाने की एडवोकेट कमिश्नर की याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 11 नवंबर तय की है. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के 44 लोगों को कोर्ट में पेश होने की इजाजत दी गई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुकदमें में अब एक सप्ताह से अधिक अवधि की तारीख नहीं दी जायेगी। अदालत का समय कीमती है, इसका सही उपयोग करें.
वादी की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने बताया कि हिंदू पक्ष को प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष की आपत्ति का जवाब देने के लिए 11 नवंबर तक का समय दिया गया है. प्रतिवादी पक्ष ने आपत्ति में 14 अक्टूबर के न्यायालय के उस आदेश का हवाला दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वह क्षेत्र पहले से सील किया जा चुका है। ऐसे में स्थानीय कोर्ट इस मामले में कोई नया फैसला नहीं दे सकती है.वादी पक्ष की मांग पर प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता द्वारा आपत्ति न दाखिल कर समय मांगा गया था.
वादिनी महिलाओं ने ज्ञानवापी में बीती 16 मई को मिले कथित शिवलिंग की पूर्वी दीवार और नंदी के मुंह के सामने वाले तहखाने की उत्तरी दीवार को हटाकर कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, ज्ञानवापी में बैरिकेडिंग की पश्चिमी दीवार के बंद दरवाजे को तोड़ कर एडवोकेट कमिश्नर को कमीशन की कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग कोर्ट से की है। वादिनी महिलाओं की ओर से कोर्ट में यह याचिका गत 17 मई को ही दाखिल की गई थी।
पांचों महिलाओं ने मंदिर में पूजा करने की मांग की
अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था. पांचों महिलाओं ने अपने अधिवक्ता के जरिये मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले.
अब 11 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो. न्यायालय ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इस पर प्रतिवादी पक्ष ने तर्क दिया था कि मां शृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की अदालत ने आदेश दिया कि मां शृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.
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