Vinay Shankar Tiwari News: ईडी ने सोमवार सुबह उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक Vinay Shankar Tiwari को बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी लखनऊ स्थित उनके आवास से की गई। तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज पर 700 करोड़ से अधिक की बैंक ऋण हड़पने का आरोप है। ईडी ने लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, दिल्ली और मुंबई समेत 11 ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज और अन्य सबूत जब्त किए गए। कभी यूपी की राजनीति में बाहुबली माने जाने वाले स्व. हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर को ईडी की कई नोटिसों के बावजूद पेश न होने पर गिरफ्तार किया गया।
बैंकों से धोखाधड़ी, 11 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी
ईडी की यह कार्रवाई सोमवार सुबह तड़के शुरू हुई, जब एक साथ 12 से अधिक टीमें लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, दिल्ली और मुंबई में Vinay Shankar Tiwari और उनकी कंपनी से जुड़े 11 ठिकानों पर पहुंचीं। लखनऊ में शहीद पथ के पास, हजरतगंज समेत पांच ठिकानों पर छापा मारा गया। इसी तरह, नोएडा और गोरखपुर में दो-दो और दिल्ली-मुंबई में एक-एक जगह कार्रवाई हुई।
ईडी सूत्रों के अनुसार, कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये की क्रेडिट लिमिट ली थी, जिसमें करीब 750 करोड़ रुपये अब तक वापस नहीं किए गए। इसी शिकायत पर पहले सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी और बाद में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की।
गिरफ्तारी और पहले जब्त की गई संपत्तियां
ईडी ने Vinay Shankar Tiwari को सोमवार को उनके लखनऊ स्थित निवास से गिरफ्तार किया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले 18 मार्च 2024 को ईडी ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज की 12 संपत्तियां जब्त की थीं, जिनकी कुल कीमत 30.86 करोड़ रुपये थी। इन संपत्तियों में गोरखपुर, लखनऊ और नोएडा की प्रॉपर्टीज शामिल थीं।
गिरफ्तारी से पहले ईडी ने उन्हें कई बार नोटिस भेजा, लेकिन वे पेश नहीं हुए। इसी कारण यह कड़ी कार्रवाई की गई। जांच में अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद
ईडी को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। लखनऊ, गोरखपुर और नोएडा में मिली सामग्री में करोड़ों की संपत्ति के कागजात, बैंक लेन-देन के रिकॉर्ड और कंप्यूटर से मिली जानकारी शामिल है, जो फर्जीवाड़े से जुड़े हैं। ईडी का कहना है कि इन साक्ष्यों के आधार पर जांच और भी गहराई से की जाएगी और अन्य आरोपियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
यह मामला यूपी की राजनीति में एक बार फिर बाहुबली नेताओं की कथित काली कमाई पर बहस छेड़ सकता है।