Uttarakhand Green Cess: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में प्रवेश करने वाले दूसरे राज्यों के वाहनों पर ग्रीन सेस (Green Cess) लगाने का आदेश जारी कर दिया है, जो दिसंबर 2025 से लागू होगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण, वायु प्रदूषण नियंत्रण और सड़क सुरक्षा सुधार के लिए महत्वपूर्ण राजस्व जुटाने की एक पहल है। सरकार को अनुमान है कि इस ‘ग्रीन सेस’ से सरकारी खजाने में हर साल ₹100 करोड़ से ₹150 करोड़ तक का अतिरिक्त राजस्व आएगा।
यह खबर उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो दिल्ली या अन्य राज्यों से अपनी गाड़ियों में उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, क्योंकि अब उन्हें राज्य में प्रवेश करते ही यह शुल्क चुकाना होगा।
FasTag से स्वचालित वसूली और निगरानी
परिवहन विभाग के अपर आयुक्त एस.के. सिंह के अनुसार, दिसंबर 2025 से दूसरे राज्यों के वाहनों से यह शुल्क उनके फास्टैग (FasTag) के माध्यम से स्वचालित (Automatic) रूप से काट लिया जाएगा।
इस वसूली प्रक्रिया की पारदर्शिता और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए, राज्य की सीमाओं पर 16 स्थानों पर ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं, जैसे कुल्हाल, आशारोड़ी, नारसन, चिड़ियापुर, खटीमा, काशीपुर, जसपुर और रुद्रपुर पर स्थापित किए गए हैं। परिवहन विभाग ने इस व्यवस्था को संभालने के लिए एक निजी कंपनी के साथ भी करार किया है।
सेस की दरें और राजस्व का उपयोग
ग्रीन सेस की दरें अलग-अलग वाहनों के लिए निर्धारित की गई हैं:
| वाहन का प्रकार | ग्रीन सेस (प्रतिदिन) |
| कार | ₹80 |
| डिलीवरी वैन | ₹250 |
| बस | ₹140 |
| ट्रक | ₹140 से ₹700 (आकार के अनुसार) |
| भारी वाहन | ₹120 |
विभाग के अनुसार, इस सेस से जुटाई गई धनराशि का उपयोग विशेष रूप से वायु प्रदूषण नियंत्रण, सड़क सुरक्षा सुधार और शहरी परिवहन विकास के कार्यों में किया जाएगा।
किन वाहनों को मिलेगी छूट?
Uttarakhand सरकारी आदेश में कुछ वाहनों को इस ग्रीन सेस से छूट भी दी गई है:
- दोपहिया वाहन।
- इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन (जो कम प्रदूषण फैलाते हैं)।
- सरकारी वाहन।
- एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां।
- वे वाहन जो 24 घंटे के भीतर राज्य में दोबारा प्रवेश करते हैं, उन्हें दोबारा Green Cess नहीं देना होगा।
यह गौरतलब है कि Uttarakhand सरकार ने 2024 में भी ग्रीन सेस लगाने की घोषणा की थी, लेकिन इसे लागू करने में लगातार देरी हो रही थी। अब सरकार ने इसे दिसंबर 2025 से लागू करने का पूरा मन बना लिया है, जिसका मुख्य कारण पहले शुल्क दरों को तय करने में लगा समय रहा है। यह नई व्यवस्था राज्य के पर्यावरण और राजस्व दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।










