AIIMS Rishikesh: सर्वर ठप मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं, 48 घंटों से बिलिंग और डिस्चार्ज प्रभावित

AIIMS ऋषिकेश में पिछले 48 घंटों से सर्वर ठप होने के कारण मरीजों को डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है। बिलिंग रुकने से अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो गई हैं, और मरीजों व उनके परिजनों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासनिक उदासीनता से स्थिति गंभीर बनी हुई है।

AIIMS Rishikesh

AIIMS Rishikesh: उत्तराखंड के AIIMS ऋषिकेश में पिछले 48 घंटों से सर्वर ठप होने के कारण मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वर डाउन होने के कारण न तो किसी मरीज को डिस्चार्ज किया जा रहा है और न ही जरूरी सुविधाएं सुचारू हैं। प्रशासनिक उदासीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल के पीआरओ ने स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “आपको खबर चलानी है आप चलाइए, हमारा प्रशासन है, हम ऐसे ही काम करेंगे।” मरीजों की बढ़ती समस्याओं और स्वास्थ्य सेवाओं के ठप होने के चलते अस्पताल की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, और स्थिति के सामान्य होने का फिलहाल कोई संकेत नहीं दिख रहा।

लगातार जारी है समस्याओं का सिलसिला

AIIMS Rishikesh में पिछले दो दिनों से न सिर्फ डिस्चार्ज प्रक्रियाएं रुकी हुई हैं, बल्कि बिलिंग में भी दिक्कतें आ रही हैं। अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा डिस्चार्ज के लिए स्वीकृति देने के बावजूद बिना बिलिंग के मरीजों को छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा रही। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि केवल 70 रुपये का बिल भी ऑनलाइन सर्वर के बंद होने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिससे मरीजों को अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जब तक सर्वर ठीक नहीं होता, मैनुअल प्रक्रियाएं शुरू करना उनके लिए संभव नहीं है।

पहाड़ी क्षेत्रों की स्थितियां बेहतर

AIIMS Rishikesh की इस समस्या के बीच, पहाड़ी इलाकों के अस्पतालों की हालात इसके विपरीत हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी जैसे क्षेत्रों में सभी व्यवस्थाएं ऑफलाइन हैं, जहां मरीजों को सामान्यत: 14 रुपये जैसे छोटे-छोटे भुगतान के लिए भी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। पहाड़ के अस्पतालों में अक्सर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा नहीं होती, पर AIIMS जैसी बड़ी संस्था में यह बाधा बनना चिंता का विषय है।

प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

AIIMS Rishikesh में सेवाएं शुरू करने के बजाय जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। सामान्य जनता के लिए यह स्थिति न केवल परेशानियों से भरी है, बल्कि AIIMS जैसे बड़े संस्थान के संचालन पर भी सवालिया निशान खड़ा करती है।

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