When Clouds Burst and Bring Disaster: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 6 अगस्त को बादल फटने की घटना ने एक बार फिर सभी को हिला कर रख दिया। इस घटना में चार लोगों की जान चली गई और 50 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। खीर गंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने इलाके में तबाही मचा दी। सड़कों, पुलों और घरों को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर बादल फटते हैं तो इतना पानी कैसे और क्यों गिरता है।
बादल क्या होते हैं और कैसे बनते हैं?
बादल असल में पानी की छोटी-छोटी बूंदों और बर्फ के महीन कणों का समूह होते हैं। जब सूरज की गर्मी से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है, तो वो ऊंचाई पर जाकर ठंडी हवा में बदलकर संघनित हो जाता है। यह वाष्प जब हवा में मौजूद धूल या धुएं के कणों से मिलते हैं, तो बादलों का निर्माण होता है।
बादलों में कितना पानी होता है?
हर बादल का आकार और उसमें मौजूद पानी की मात्रा अलग-अलग होती है। एक छोटा बादल कुछ टन पानी ले सकता है, जबकि एक बड़ा बादल हजारों टन पानी अपने अंदर समेटे होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक विशाल बादल करीब 9 लाख टन तक पानी ले जा सकता है। अब सोचिए, अगर इतना पानी एक साथ गिर जाए तो क्या होगा?
क्लाउडबर्स्ट क्यों बनते हैं तबाही का कारण?
जब किसी एक छोटे इलाके में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होती है, तो उसे ही बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है। इसमें पानी इतनी तेजी से गिरता है कि नदी-नाले और जमीन उसे संभाल नहीं पाते, जिससे बाढ़, भूस्खलन और जान-माल का बड़ा नुकसान हो जाता है।
पहाड़ों में ज्यादा खतरनाक क्यों होता है क्लाउडबर्स्ट?
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में तेज ढलान, कमजोर मिट्टी, और तेज बारिश की वजह से क्लाउडबर्स्ट और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। यहां पर रास्ते, पुल, घर और पूरी बस्तियां चंद मिनटों में तबाह हो सकती हैं।
इसका समाधान क्या है?
जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण कार्य और पेड़ों की कटाई भी इस तरह की आपदाओं को बढ़ा रहे हैं। इसलिए जरूरत है कि सरकार और आम लोग मिलकर पहाड़ी इलाकों में मजबूत चेतावनी प्रणाली (अलर्ट सिस्टम), सुरक्षित निर्माण, और संतुलित विकास पर ध्यान दें। तभी हम आने वाले समय में इस तरह की त्रासदियों से बच सकते हैं।
बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन समय पर तैयारी और सतर्कता से इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है। समय रहते कदम उठाना अब ज़रूरी हो गया है।