उत्तराखंड के केदारनाथ धाम, जो चार धाम यात्रा का प्रमुख केंद्र है, इस दिसंबर में असामान्य रूप से बर्फविहीन नजर आ रहा है। आमतौर पर दिसंबर के मध्य तक यहां 5 फीट से अधिक बर्फ की मोटी चादर जम जाती है, लेकिन 2025 में सूखा मौसम और ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी ने पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और वैज्ञानिकों को चौंका दिया है।
असामान्य मौसम का पैटर्न
इस साल मानसून के बाद से ही उत्तराखंड में कम वर्षा दर्ज की गई। दिसंबर में सामान्यत: -10°C से नीचे तापमान रहता है, जो बर्फबारी को बढ़ावा देता है, लेकिन 2025 में तापमान 0°C के आसपास रहा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ की कमी से बर्फबारी 70% कम हुई। केदारनाथ (3,583 मीटर ऊंचाई) में पिछले 10 दिनों में कोई महत्वपूर्ण बर्फ नहीं गिरी।
पर्यटन और यात्रा पर असर
केदारनाथ धाम नवंबर में ही बंद हो जाता है, लेकिन आसपास के क्षेत्र जैसे फाटा, त्रिजुगीनारायण और गौरीकुंड पर्यटकों के आकर्षण रहते हैं। बर्फ की कमी से सर्दी पर्यटन प्रभावित हुआ है। हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं, लेकिन ट्रेकिंग और स्नो एक्टिविटीज रुकीं। स्थानीय होटल व्यवसायी बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में 50% कम पर्यटक आए।
वैज्ञानिक चिंताएं और जलवायु परिवर्तन
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है। ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ. वी एम के कोरडोई ने कहा कि मंडाकिनी घाटी में ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं। चोराबारी ताल क्षेत्र में बर्फ की कमी से गर्मियों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। IMD ने चेतावनी दी कि अनियमित मौसम पैटर्न से ग्लेशियर मेल्ट तेज होगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
केदारनाथ के पंडितों और ग्रामीणों का कहना है कि बर्फ की कमी धार्मिक रूप से भी चिंताजनक है। “बाबा केदार बर्फ में विराजमान रहते हैं, इस साल की खाली वादियां अशुभ लग रही हैं,” एक पुजारी ने कहा। जल संरक्षण पर जोर देते हुए स्थानीयों ने वर्षा जल संचयन की मांग की।
भविष्य की संभावनाएं
IMD का पूर्वानुमान है कि जनवरी में देरी से बर्फबारी हो सकती है। सरकार ने जलवायु अनुकूलन योजना शुरू की है, जिसमें कृत्रिम बर्फ उत्पादन और ग्लेशियर मॉनिटरिंग शामिल है। पर्यावरणविदों ने सतत पर्यटन पर बल दिया।



