ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अटाली गांव में हुए भू-धसाव का असर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की व्यासी स्थित सुरंग की रिटेनिंग वॉल पर भी पड़ा है। इस दीवार में कई जगह बड़ी दरार आ गई है। रेल विकास निगम के अधिकारियों ने बताया कि यह दरार अब स्थिर हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर रेल निर्माण को लेकर हो रहा भू-धसाव
उत्तराखंड में लगातार शहरो से भू-धसाव की खबर सुनने में आ रही है। पिछले कुछ दिनों से जहां जोशीमठ को लेकर भू-धसाव का मामला चर्चा में है, तो वहीं अब खबर ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे रेल निर्माण को लेकर आ रही है। जहां रेल परियोजना का व्यासी में सुरंग निर्माण का कार्य चलने से भू-धसाव का मामला आया है। बता दें कि रेल विकास निगम की ओर से सुरंग के मुहाने पर दोनों और रिटेनिंग वॉल बनाई गई है। जिसके बाद से रिटेनिंग वाल में कई बड़ी दरारें देखी गई हैं। सभी दरारें स्थिर हैं दरारों की चौड़ाई करीब 30 सेंटीमीटर है।
अटाली गांव में हो रहे भू-धसाव का असर
बता दें कि अटाली गांव में हो रहे भू-धसाव का असर रेल परियोजना के निर्माण पर भी पड़ा है। खबरो के मुताबिक 20 दिसंबर से यह दरारें आनी शुरू हुईं थी। जिसके बाद सोमवार को जिला प्रशासन और रेल विकास निगम के अधिकारियों की ग्रामीणों के साथ हुई बैठक हुई थी। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि यह दरारें अब स्थिर हैं। सुरंग के भीतर निकले जलस्रोत को भी डायवर्ट किया गया है। संपूर्ण क्षेत्र का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया जा चुका है। रेल विकास निगम के उप महाप्रबंधक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि 25 दिसंबर के बाद से सभी दरारें स्थिर हैं दरारों की चौड़ाई करीब 30 सेंटीमीटर है। इन दरारों से रेल परियोजना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
25 दिसंबर के बाद कोई धसाव देखने में नही आया- रेल महाप्रबंधक
रेल विकास निगम के महाप्रबंधक रविकांत ने कहा कि निर्माणाधीन टनल टी-4 के बायीं ओर देखने में आया था। उसमें 25 दिसंबर के बाद कोई धसाव देखने में नही आया है, यानी अब भू-धसाव की प्रक्रिया रुक गई है। लेकिन अभी रेल विकास निगम उक्त टनल की बाहर की तरफ फाल्स टनल का निर्माण कर लगभग 20 मीटर अतिरिक्त निर्माण से इस समस्या पर बने संशय को खत्म तो करेगी। साथ ही एक्सपर्ट की टीम गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट के अनुसार गांव वालों को निर्माण से उपजी समस्या पर उचित कार्य करेगी।
दरक रहा है जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 600 घरों में दरारें आ गई हैं। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में लगभग 600 परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दिया गया है। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।वहीं मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 4,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।