Does God Exist? किसने कहा खुदा से बेहतर तो मोदी हैं, किसके बीच हुई आस्था, तर्क और नैतिकता पर खुली बहस

द लल्लनटॉप के कार्यक्रम में जावेद अख्तर और मुफ्ती शमाइल नदवी के बीच खुदा के अस्तित्व पर तीखी बहस हुई। गाजा, हिंसा, आस्था और नैतिकता जैसे मुद्दों पर दोनों ने अपने-अपने तर्क रखे।

Does God exist debate India

God Existence Debate:करीब दो घंटे तक चली इस चर्चा ने आस्था, तर्क, नैतिकता और इंसानी पीड़ा जैसे गहरे सवालों को सामने रखा। द लल्लनटॉप के इस खास कार्यक्रम का विषय था—“क्या खुदा का अस्तित्व है?” यह मौका इसलिए भी खास था, क्योंकि एक ओर खुद को नास्तिक मानने वाले मशहूर लेखक जावेद अख्तर थे, तो दूसरी ओर धार्मिक विद्वान मुफ्ती शमाइल नदवी। दोनों ने खुले मंच पर अपने विचार रखे और एक-दूसरे के तर्कों को चुनौती दी।

जावेद अख्तर के सवाल

जावेद अख्तर ने अपनी बात रखते हुए गाजा युद्ध का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर खुदा हर जगह मौजूद है और दयालु भी है, तो फिर गाजा में हो रही तबाही को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर आप सर्वशक्तिमान हैं और हर जगह हैं, तो गाजा में भी होंगे। वहां बच्चों की मौत हो रही है, फिर भी आप चाहते हैं कि मैं आप पर भरोसा करूं?”

उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि इस मामले में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेहतर लगते हैं, क्योंकि कम से कम कुछ चिंता तो दिखाते हैं। जावेद अख्तर ने यह भी सवाल उठाया कि खुदा के नाम पर सवाल पूछना क्यों गलत माना जाता है। उनका कहना था, “किस तरह का खुदा है जो मासूम बच्चों को बमों से मरते देखता रहे? अगर ऐसा खुदा है, तो उसका न होना ही बेहतर है।”

मुफ्ती शमाइल नदवी का जवाब

मुफ्ती शमाइल नदवी ने इन सवालों का शांत और दार्शनिक तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में बुराई के लिए खुदा नहीं, बल्कि इंसान की अपनी आजादी जिम्मेदार है। उनके मुताबिक, “खुदा ने इंसान को चुनने की आजादी दी है। हिंसा, बलात्कार और युद्ध इंसान के फैसलों का नतीजा हैं, खुदा का नहीं।”

उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान और धर्म को एक ही तराजू में तौलना सही नहीं है। विज्ञान भौतिक दुनिया तक सीमित है, जबकि खुदा उससे परे है। मुफ्ती नदवी ने कहा, “विज्ञान यह बता सकता है कि ब्रह्मांड कैसे चलता है, लेकिन यह नहीं बता सकता कि उसका अस्तित्व क्यों है।” उन्होंने जावेद अख्तर से कहा कि अगर किसी बात का जवाब नहीं पता, तो यह कहना भी सही नहीं कि खुदा है ही नहीं।

विश्वास और आस्था पर बहस

कार्यक्रम में विश्वास और आस्था के फर्क पर भी चर्चा हुई। जावेद अख्तर ने कहा कि विश्वास सबूत, तर्क और गवाही पर टिका होता है, जबकि आस्था बिना प्रमाण मान लेने को कहती है। उनके मुताबिक, जहां न सबूत हो, न तर्क और न गवाह, फिर भी मानने को कहा जाए, वही आस्था है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी सोच सवाल पूछने से रोकती है।

नैतिकता पर बोलते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि नैतिकता प्रकृति की देन नहीं, बल्कि इंसानों की बनाई हुई व्यवस्था है। उन्होंने इसे ट्रैफिक नियमों से तुलना करते हुए कहा कि ये समाज के लिए जरूरी हैं, लेकिन प्रकृति में अपने आप मौजूद नहीं होते।

सोशल मीडिया पर बहस तेज

कार्यक्रम खत्म होते ही यह बहस सोशल मीडिया पर छा गई। कुछ लोगों ने जावेद अख्तर के सवालों को जरूरी और साहसी बताया, जबकि कई लोगों ने इसे धार्मिक आस्थाओं पर हमला कहा। वहीं, मुफ्ती शमाइल नदवी को उनके संयम और संतुलित जवाबों के लिए भी काफी समर्थन मिला।

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