Tuesday, November 11, 2025
  • Login
News1India
  • राष्ट्रीय
  • देश
  • बिहार चुनाव 2025
  • विदेश
  • राज्य ▼
    • दिल्ली
    • हरियाणा
    • राजस्थान
    • छत्तीसगढ़
    • गुजरात
    • पंजाब
  • क्राइम
  • टेक्नोलॉजी
  • धर्म
  • मौसम
  • ऑटो
  • खेल
🔍
Home Breaking

CJI के एक सवाल पर उलझे सिब्बल: क्या वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन पहले भी था अनिवार्य?

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और CJI BR Gavai के बीच दरगाहों और मस्जिदों को लेकर तीखी बहस देखने को मिली।

Mayank Yadav by Mayank Yadav
May 20, 2025
in Breaking, Latest News, राष्ट्रीय
Waqf
491
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

Waqf Case 2025 Live: वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रही। चीफ जस्टिस BR Gavai की अगुवाई में सुनवाई कर रही पीठ ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को सुना। इस दौरान सिब्बल ने वक्फ संपत्तियों पर कथित सरकारी अतिक्रमण का मुद्दा उठाया, जबकि केंद्र ने तीन तय मुद्दों तक ही बहस सीमित रखने की मांग की। बहस के दौरान चीफ जस्टिस BR Gavai और सिब्बल के बीच दरगाहों और धार्मिक स्थलों की फंडिंग को लेकर तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। आइए जानते हैं आज की सुनवाई से जुड़े बड़े अपडेट्स और क्या कहा गया कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से।

यूपीएससी IFS रिजल्ट जारी, कनिका अनभ बनी टॉपर, पीडीएफ में देखें टॉपर्स क पूरी लिस्ट

वक्फ कानून पर कपिल सिब्बल की तीखी टिप्पणी: “अड़ंगा लगाना हमारे डीएनए में है”

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कानून की वैधता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का सीधा उल्लंघन करता है, जो समानता, धर्म की स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों की गारंटी देता है।

RELATED POSTS

No Content Available

सिब्बल ने कहा कि उन्हें यह साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए कि वह प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हैं, और न ही उन्हें अपने धार्मिक अधिकारों की पुष्टि के लिए पांच साल तक इंतजार करना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि यदि किसी वक्फ संपत्ति पर कोई विवाद दर्ज करवा देता है—even अगर वह ग्राम पंचायत या कोई निजी व्यक्ति हो—तो कानून के तहत वह संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी। इसका निर्णय कोई सरकारी अधिकारी करेगा, जो खुद ही उस मामले में निर्णायक भी होगा।

इसपर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या वास्तव में कानून की धारा 3 के अनुसार कोई भी स्थानीय निकाय केवल विवाद उठाकर वक्फ संपत्ति का दर्जा समाप्त कर सकता है। सिब्बल ने इसका समर्थन करते हुए कहा, “हां, यही इस कानून की खामी है।”

चीफ जस्टिस ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां भी वक्फ से जुड़ी संपत्तियों पर कई विवाद हैं। इस पर सिब्बल ने व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब दिया, “अड़ंगा लगाना हमारे डीएनए में है।”

सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि यह व्यवस्था मनमानी है और इसका उपयोग धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलने के लिए हो सकता है। उन्होंने अदालत से अपील की कि वह इस कानून की संवैधानिक समीक्षा करे।

1. वक्फ पर कब्जे का आरोप, सिब्बल की चेतावनी

सुनवाई की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून Waqf संपत्तियों के संरक्षण की आड़ में अतिक्रमण को वैध बनाने की कोशिश है। उन्होंने तर्क दिया कि एक बार वक्फ की गई संपत्ति हमेशा वक्फ ही रहती है। लेकिन नया कानून बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के वक्फ को समाप्त करने का रास्ता खोलता है।

2. “तीन मुद्दों तक सीमित रहिए”: SG और सिब्बल की बहस

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अपील की कि बहस सिर्फ उन तीन बिंदुओं तक ही सीमित रखी जाए जिन पर जवाब दाखिल किया गया है। लेकिन सिब्बल ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ तीन बिंदुओं तक नहीं सिमटता, बल्कि पूरे Waqf ढांचे पर हमले जैसा है। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती।

3. CJI और सिब्बल में दरगाहों को लेकर नोकझोंक

सिब्बल ने कहा कि राज्य मस्जिद या कब्रिस्तान के रखरखाव के लिए पैसा नहीं दे सकता। इस पर CJI ने टिप्पणी की, “मैं दरगाहों में जाता हूं, वहां तो फंडिंग होती है।” इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि वह मस्जिदों की बात कर रहे हैं, दरगाहों की नहीं।

4. वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम नियुक्तियों पर सवाल

सिब्बल ने आरोप लगाया कि अब वक्फ बोर्ड और परिषदों में गैर मुस्लिमों की संख्या बढ़ा दी गई है। इससे अनुच्छेद 26 और 27 का उल्लंघन हो रहा है। बोर्ड के CEO की नियुक्ति भी सरकार कर रही है, जिससे वक्फ की स्वायत्तता खत्म हो रही है।

जुड़े रहिए, अगली अपडेट के लिए पढ़ते रहिए Live Web…

ASI संरक्षण से क्या धर्म पालन का अधिकार छिन जाता है? CJI और सिब्बल के बीच गहन संवाद

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून 2025 पर बहस के दौरान एक अहम सवाल उठा—क्या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित संपत्ति का वक्फ दर्जा खत्म हो जाने से धार्मिक अधिकार भी खत्म हो जाते हैं? इस पर सॉलिसिटर कपिल सिब्बल और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बीच गंभीर संवाद हुआ।

कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नया कानून कहता है कि यदि कोई संपत्ति ASI संरक्षित है, तो वह वक्फ नहीं मानी जाएगी। इस पर CJI ने उदाहरण देते हुए कहा कि खजुराहो का एक मंदिर ASI संरक्षण में है, फिर भी वहां लोग पूजा कर सकते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या केवल ASI संरक्षण से व्यक्ति का धार्मिक पालन करने का अधिकार खत्म हो जाता है?

सिब्बल ने जवाब दिया कि यदि किसी संपत्ति की वक्फ मान्यता रद्द कर दी जाती है, तो वहां धार्मिक गतिविधि पर अधिकार स्वाभाविक रूप से छिन जाता है। उन्होंने कहा कि इस नए प्रावधान से अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होता है, जो प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के पालन और प्रचार का अधिकार देता है।

मुख्य न्यायाधीश ने दोहराया कि वह स्वयं ASI संरक्षित मंदिर में प्रार्थना कर चुके हैं, और वहां पूजा करने से किसी को रोका नहीं गया। उन्होंने पूछा कि क्या सिर्फ वक्फ मान्यता खत्म होने से प्रार्थना का अधिकार भी खत्म हो जाएगा? इस पर सिब्बल ने दोबारा स्पष्ट किया कि उनका तर्क यह है कि वक्फ की मान्यता खत्म होते ही धार्मिक परंपराओं का अधिकार भी समाप्त हो जाता है, जो सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

अंततः सुप्रीम कोर्ट ने यह रिकॉर्ड पर लिया कि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वक्फ कानून में किया गया यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है, जिससे नागरिकों को उनकी धार्मिक प्रथाओं को जारी रखने का अधिकार छिन सकता है।

कपिल सिब्बल ने जताया भ्रम, CJI ने कहा- “आप भी दबाव में हैं”

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन को लेकर चल रही सुनवाई में कपिल सिब्बल ने बताया कि 1954 के बाद वक्फ कानून में जो भी संशोधन हुए हैं, उनमें वक्फ संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया था। अदालत ने पूछा कि क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा में भी पंजीकरण जरूरी था, जिस पर सिब्बल ने सहमति जताई।

सीजेआई ने फिर पूछा कि क्या आप यह कहना चाहते हैं कि 1954 से पहले उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का पंजीकरण आवश्यक नहीं था, जबकि 1954 के बाद यह जरूरी हो गया? इस पर सिब्बल ने माना कि इस मामले में कुछ भ्रम है और संभवतः यह नियम 1923 से लागू हो सकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, “बहुत दबाव है, सिर्फ हम पर ही नहीं बल्कि आप पर भी।”

सीजेआई ने कपिल सिब्बल से वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर पूछा अहम सवाल

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या पुराने अधिनियमों के तहत वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य था। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि पुराने कानूनों में केवल इतना कहा गया था कि यदि मुत्तवल्ली (वक्फ प्रबंधक) पंजीकरण नहीं कराता तो वह अपना प्रबंधन अधिकार खो देता है, लेकिन इसके अलावा गैर-अनुपालन के लिए कोई और सख्त परिणाम नहीं थे।

सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड पर स्वीकार किया कि याचिकाकर्ताओं ने यह प्रस्तुत किया है कि 1913 से 2013 के अधिनियमों में वक्फ के पंजीकरण का प्रावधान जरूर था, लेकिन 2025 से पहले उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का पंजीकृत होना आवश्यक नहीं था। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि क्या उस प्रासंगिक समय के अधिनियमों के तहत वक्फ संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य या आवश्यक था।

क्या वक्फ संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य था? कोर्ट और सिब्बल के बीच अहम संवाद

सुप्रीम कोर्ट में चल रही वक्फ संशोधन कानून 2025 की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या पुराने कानूनों में वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य था। इस पर कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि 2025 का कानून पुराने कानून से बिल्कुल अलग है और इसमें दो प्रमुख अवधारणाएं हैं—एक, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ बनाई गई संपत्तियां और दो, स्वैच्छिक समर्पण। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में भी ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा को मान्यता दी गई थी, और कई वक्फ तो सैकड़ों साल पुराने हैं।

जब CJI ने स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या पुराने कानून में पंजीकरण अनिवार्य था, सिब्बल ने कहा कि वहां “Shall” शब्द का प्रयोग किया गया था। इस पर CJI ने कहा कि सिर्फ “Shall” लिखे होने से यह सिद्ध नहीं होता कि पंजीकरण अनिवार्य था—यदि ऐसा न करने पर कोई दंडात्मक प्रावधान नहीं था, तो इसे वैकल्पिक ही माना जाएगा। अंत में, अदालत ने सिब्बल की इस दलील को रिकॉर्ड पर लेने की बात कही कि पंजीकरण की आवश्यकता तो थी, लेकिन उसका उल्लंघन करने पर कोई दंडात्मक व्यवस्था नहीं थी, इसलिए पंजीकरण न कराने से कोई वैधानिक दुष्परिणाम नहीं होता था।

 

Tags: Waqf
Share196Tweet123Share49
Mayank Yadav

Mayank Yadav

Related Posts

No Content Available
Next Post
Surendra Singh Baghel

8वीं पासे कांग्रेस विधायक ने MBA बताकर कराई शादी, परिवार पर बहू ने लगाए आरोप

सिंधु जल संधि पर भारत का सख्त रुख, पाकिस्तान की ठुकराई मांग, अब नई शर्तों पर होगी बात!

सिंधु जल संधि पर भारत का सख्त रुख, पाकिस्तान की ठुकराई मांग, अब नई शर्तों पर होगी बात!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

News1India

Copyright © 2025 New1India

Navigate Site

  • About us
  • Privacy Policy
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • देश
  • बिहार चुनाव 2025
  • विदेश
  • राज्य
    • दिल्ली
    • हरियाणा
    • राजस्थान
    • छत्तीसगढ़
    • गुजरात
    • पंजाब
  • क्राइम
  • टेक्नोलॉजी
  • धर्म
  • मौसम
  • ऑटो
  • खेल

Copyright © 2025 New1India

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

Go to mobile version