TRP नहीं, सोच बदलनी है – ‘क्योंकि सास भी…’ की वापसी पर एकता कपूर का बड़ा खुलासा!

एकता कपूर अपने शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की 25वीं वर्षगांठ पर इसे कुछ गिने-चुने एपिसोड्स के साथ दोबारा लेकर आ रही हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर कहा कि यह शो भारतीय महिलाओं को उनकी आवाज देने का माध्यम बना था। Ask ChatGPT

Smriti Irani

Smriti Irani : टीवी और फिल्म जगत की मशहूर निर्माता एकता कपूर इन दिनों अपने ऐतिहासिक शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की 25वीं वर्षगांठ को लेकर चर्चाओं में हैं। इस खास मौके पर वह शो को एक सीमित एपिसोड्स की नई प्रस्तुति के रूप में फिर से लेकर आ रही हैं। हालांकि, उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के ज़रिए बताया कि शुरुआत में वह इस शो को दोबारा लॉन्च करने के पक्ष में बिल्कुल नहीं थीं।

एकता ने लिखा, “जब शो के 25 साल पूरे होने की चर्चा शुरू हुई और इसे फिर से टीवी पर लाने की बातें उठीं, तो मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी — बिल्कुल नहीं! मैं उस सुनहरी याद को दोबारा क्यों छेड़ूं? जो बीत चुका है, वो कई बार परियों जैसी यादें बनकर हमारे साथ रहता है। लेकिन उन यादों को दोहराना कभी-कभी उनकी गहराई को कम कर सकता है।”

महिलाओं की आवाज बना था ये शो

एकता कपूर ने आगे बताया कि ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सिर्फ एक पारिवारिक ड्रामा नहीं था, बल्कि उसने भारतीय महिलाओं को एक नई पहचान और मंच दिया था। “जैसे हम अपने बचपन को याद करते हैं और असलियत से उसका मेल बैठाने की कोशिश करते हैं, ठीक वैसा ही कुछ इस शो के साथ भी है। अब टेलीविजन का परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। पहले जहां 9 शहरों में दर्शक सीमित थे, अब वही दर्शक अनेक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में बंट चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है—क्या आज का मीडिया इस शो की विरासत को संभाल पाएगा?”

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उन्होंने आगे कहा, “इस शो ने कभी सिर्फ टीआरपी बटोरने का काम नहीं किया, बल्कि इसने घरेलू हिंसा, वैवाहिक शोषण, एज शेमिंग और इच्छामृत्यु जैसे विषयों को भारतीय परिवारों की बातचीत का हिस्सा बना दिया। एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी यह बात सामने आई कि इस धारावाहिक ने भारतीय महिलाओं को अपनी बात कहने का साहस दिया।”

क्यों लिया वापसी का फैसला

एकता ने बताया कि शो का अचानक बंद हो जाना दर्शकों को अधूरा सा एहसास दे गया था, लेकिन सवाल यह था—क्या आज के दौर में भी वैसी ही प्रभावशाली कहानी कही जा सकती है? “मैंने खुद से पूछा—क्या हम टीआरपी की होड़ से हटकर फिर से कुछ ऐसा बना सकते हैं जो समाज की सोच को झकझोर दे? क्या हम फिर से वह समय वापस ला सकते हैं जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर किसी कहानी पर चर्चा करता था?”

उन्होंने अपने पोस्ट का अंत एक स्पष्ट विचार के साथ किया, “जैसे ही मैंने खुद से ये सारे सवाल किए, मुझे जवाब मिल गया—हां, अब समय है फिर से एक नई सोच के साथ आगे बढ़ने का। इसलिए हम वापस आ रहे हैं, एक ऐसी कहानी के साथ जो सिर्फ यादों को ताज़ा नहीं करेगी, बल्कि लोगों के दिलों और सोच दोनों को छू जाएगी।”

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