दिल्ली ब्लास्ट के बाद यूपी से पकड़े गए 5 डॉक्टर, जानें भारत में ’व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ क्यों खड़ा कर रहे टेररिस्ट

दिल्ली ब्लास्ट मामले में यूपी से अब तक 5 डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें सहारनपुर के डॉ अदील की सबसे पहले गिरफ्तारी हुई थी। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए हुए हैं।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। भारत की राजधानी दिल्ली में एक फिदायीन ने खुद को कार समेत उड़ा लिया। इस ब्लास्ट में कुल 13 लोगों की मौत हो गई, वहीं दर्जनों नागरिक घायल हो गए। हमलवार एक पेशेवर डॉक्टर था, जिसका नाम उमर नबी था। फिलहाल हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां देश के कई शहरों में ऑपरेशन चला रही हैं। कानपुर के अलावा यूपी के दूसरे जनपदों से अभी तक एटीएस ने पांच डॉक्टरों को उठाया है।

दिल्ली ब्लास्ट मामले में यूपी से अब तक 5 डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें सहारनपुर के डॉ. अदील की सबसे पहले गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन सईद को फरीदाबाद और उसके भाई परवेज अंसारी को एटीएस ने लखनऊ से पकड़ा था। बुधवार को एटीएस ने कानपुर मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर आरिफ को दबोचा। डॉक्टर को एटीएस अपने साथ दिल्ली लेकर चली गई। एटीएस ने हापुड़ के प्राइवेट जीएस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर फारूख (34) को भी उठाया है।

पांचों डॉक्टरों में शाहीन और परवेज यूपी के लखनऊ के रहने वाले हैं। जबकि तीन अन्य जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं। कानपुर से गिरफ्तार डॉक्टर आरिफ कानपुर मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में पदस्थ था। सूत्रों के मुताबिक, आरिफ दिल्ली कार ब्लास्ट में मारे गए आतंकी उमर का क्लासमेट था। दोनों ने जम्मू-कश्मीर में मेडिकल की पढ़ाई साथ की थी। जबकि हापुड़ से पकड़े गए डॉक्टर फारूख आतंकी मुजम्मिल शकील का क्लासमेट था। फारूख और आरिफ को एटीएस पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि दोनों आतंकी शाहीन के संपर्क में थे।

डॉक्टर आरिफ और डॉक्टर फारूख जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। डॉ. आरिफ कानपुर के अशोक नगर में किराए के कमरे में रहता था। जबकि फारूख हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजिस्ट था। उसने एक साल पहले ही कॉलेज जॉइन किया था। कैंपस के हॉस्टल में रहता था। फारूख जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के मीरिपुरा का रहने वाला है। उसने यहीं के आचार्य श्रीचंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस किया था। इसके बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से एमडी किया। दोनों लेडी आतंकी डॉक्टर शाहीन के संपर्क में आए और आतंकी गतिविधियों में जुट गए। शाहीन का भाई परवेज भी इनके साथ जुड़ा हुआ था।

छरअसल, 17 अक्टूबर को मौलवी इरफान ने नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगवाए। पोस्टर लगाने वालों में नौगाम के रहने वाले आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार शामिल थे। ये सभी सीसीटीवी में कैद हो गए। 19 अक्टूबर को श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। श्रीनगर के एसएसपी संदीप चक्रवर्ती की अगुआई में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पोस्टर मौलवी इरफान और डॉ. अदील के कहने पर लगाए गए थे। पुलिस ने मौलवी इरफान को पकड़ा। फिर पुलिस ने डॉ. अदील की तलाश शुरू की।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉक्टर आदिल को सहारनपुर से अरेस्ट कर लिया। डॉक्टर आदिल यहां पर एक अस्पताल में नौकरी कर रहा था। डॉ. अदील ने पूछताछ में बताया कि उसके साथ डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई उर्फ मुसाइब, उसकी गर्लफ्रेंड शाहीन और डॉ. उमर भी जुड़े हैं। डॉ. मुजम्मिल हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर है। अदील ने यह भी कबूला कि उसके पास एक एके-56 राइफल है। जिसे उसने अनंतनाग गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के लॉकर में छिपाकर रखा था। पुलिस ने वहां छापा मारकर राइफल बरामद कर ली। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया।

डॉ. मुजम्मिल को दबोचने के बाद पुलिस ने शाहीन को भी अरेस्ट कर लिया। सहारनपुर से डॉ. अदील की गिरफ्तारी के बाद परवेज को खुद के पकड़े जाने की भनक लग गई। इसीलिए उसने एक दिन बाद 7 नवंबर को लखनऊ की प्राइवेट यूनिवर्सिटी इंटीग्रल से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली ब्लास्ट के अगले दिन यूपी एटीएस ने परवेज के लखनऊ स्थित घर पर छापेमारी की। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की जांच में सामने आया है कि सफेद कॉलर टेरर नेटवर्क का मास्टरमाइंड डॉ. मुजम्मिल और उसकी प्रेमिका डॉक्टर शाहीन थी। डॉक्टर शाहीन के जैश से जुड़े होने के सबूत भी मिले हैं। शाहीन जैश महिला विंग इंडिया की प्रमुख थी।

सफेद कॉलर टेरर नेटवर्क को लेकर एक न्यूज चैनल को दिए इंटव्यू के दौरान बीएसएफ डीआईटी (रिटायर्ड) नरेंद्र नाथ धर दुबे ने कहा, मैं यहां यह कहना चाहूंगा कि जो रेडिकलाइज्ड आतंकवाद है, जिस सोच की बुनियाद ही एक रेडिकल थॉट प्रोसेस है, जो एंटी-इंडिया कैंपेन पर आधारित है, जो गजवा-ए-हिंद करने की सोच रखता है, जो शरिया लॉ स्थापित करने का विचार है। और जो मुस्लिम उम्मा ब्रदरहुड के विस्तार करने सोच है, इसका गरीबी से कोई लेना-देना नहीं है। इसका सिर्फ लेना-देना है संवेदनशीलता से। रेडिकल थॉट प्रोसेस से कोई भी प्रभावित हो सकता है। वह डॉक्टर हो सकता है, वह इंजीनियर हो सकता है, वह प्रोफेसर हो सकता है और वह एक आम आदमी भी हो सकता है।

पूर्व डीआईजी ने बताया कि उदाहरण के तौर पर इससे पहले भी व्हाइट कॉलर और पढ़े-लिखे लोग टेररिज्म में शामिल रहे हैं। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फोर्स का जो चीफ था, वह इकोनॉमिक्स का सबसे बड़ा एडवाइजर था। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, देहरादून से बीटेक किया हुआ लड़का टेरर मॉडयूल का चीफ था। और अगर आप आईएसआईएस मॉड्यूल की बात करें तो मुंबई में 2014-15 में जो टेकी पकड़ा गया था वो हाई ग्रेड टेक्निकल पर्सन था। उच्च शिक्षा प्राप्त किया हुआ था। इसके पहले भी डॉक्टर टेरर मॉडयूल में पकड़े जा चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो रेडिकल थॉट प्रोसेस से निकला हुआ आतंकवाद है, जो जिहादी मानसिकता से निकला हुआ आतंकवाद है, उसका धनी होना या गरीब होने से कोई संबंध नहीं है।

भारत में इस्लामिक कट्टरपंथ के उद्देश्य के लिए हथियार उठाने वाला पहल उच्च शिक्षित व्यक्ति तंजीम इस्लाहुल मुस्लिमीन (टीआईएम) का पूर्व सर्जन जलीस अंसारी माना जाता है। टीआईएम की स्थापना 1985 में हुई थी। अंसारी को 1991 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के जवाब में देश भर के विभिन्न शहरों में बम विस्फोटों की साजिश रचने के लिए जाना जाता है। प्रतिबंधित आतंकी समूह आईएम के कई सदस्य इस श्रेणी में आते हैं, जो उच्च शिक्षित हैं। समूह के सह-संस्थापकों में से एक, रियाज शाहबंदरी उर्फ रियाज भटकल है, जिसने मुंबई के साबू सिद्दीकी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। आईएम का सह-संस्थापक यासीन भटकल, जो अहमदाबाद, सूरत, बेंगलुरु, पुणे, दिल्ली और हैदराबाद में हुए आतंकी हमलों में शामिल था, कर्नाटक से इंजीनियरिंग में स्नातक है।

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