Women Health After Menopause: ग्रामीण इलाकों की महिलाओं में आज भी स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बहुत कम है। हाल ही में किए गए एक सर्वे में सामने आया कि कई महिलाएं माहवारी बंद होने के बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक परेशानियों के बारे में कुछ नहीं जानतीं। डॉक्टरों के अनुसार, मासिक धर्म बंद होने के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घट जाता है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन, तनाव और कमजोरी जैसी दिक्कतें होती हैं।
डॉक्टर से परामर्श लेने से कतराती हैं महिलाएं
डॉ. शालिनी ने बताया कि अधिकतर महिलाएं मेनोपॉज की दिक्कतों को बीमारी नहीं मानतीं। वे डॉक्टर से सलाह नहीं लेतीं और अपनी परेशानी को सामान्य समझकर अनदेखा कर देती हैं। इससे पता चलता है कि गांवों में महिलाओं की सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति कितनी कमजोर है।
यूरिन इंफेक्शन और असहजता की बड़ी समस्या
सर्वे में पाया गया कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं को यूरिन से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं। इनमें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) और यूरिनरी इनकांटिनेंस (पेशाब का नियंत्रण न रहना) प्रमुख हैं। करीब 54 प्रतिशत महिलाओं में ये लक्षण मिले। इस वजह से उन्हें बार-बार पेशाब आने या असामान्य डिस्चार्ज की समस्या होती है। कई महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर जाने से हिचकिचाती हैं, क्योंकि इससे शरीर से बदबू आने लगती है और शर्मिंदगी महसूस होती है।
शिक्षा और आर्थिक स्थिति भी है बड़ी वजह
सर्वे के अनुसार, 70 प्रतिशत महिलाएं अशिक्षित थीं और 50 प्रतिशत गरीब परिवारों से थीं। लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं ने केवल प्राथमिक या हाईस्कूल तक पढ़ाई की थी। डॉक्टरों ने बताया कि शिक्षा और आर्थिक स्थिति का सीधा असर महिलाओं की स्वास्थ्य जागरूकता पर पड़ता है।
दो गांवों की 385 महिलाओं पर हुआ सर्वे
इस अध्ययन में दो गांवों की 385 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें 40 से 55 वर्ष की महिलाएं थीं। इनमें से 171 महिलाएं ‘मेनोपॉज ट्रांजिशन’ की स्थिति में थीं, यानी उनका मासिक चक्र अनियमित हो गया था, जबकि 214 महिलाएं ‘पोस्ट मेनोपॉज’ में थीं, जिनका मासिक धर्म पूरी तरह बंद हो चुका था।
इलाज के प्रति लापरवाही बनी सबसे बड़ी चुनौती
डॉ. शालिनी ने बताया कि सबसे चिंताजनक बात यह थी कि ज्यादातर महिलाएं इलाज नहीं करा रही थीं। वे अपने लक्षणों को सामान्य मान रही थीं और डॉक्टर से परामर्श नहीं लेती थीं। डॉक्टर ने कहा कि इस अवस्था में महिलाओं को न केवल चिकित्सकीय सहायता बल्कि परिवार और समाज से भी सहयोग की जरूरत होती है।
मेनोपॉज पर जागरूकता जरूरी
मेनोपॉज महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक चरण है, लेकिन जानकारी की कमी इसे गंभीर बना देती है। इस अवस्था में महिलाओं को समय पर इलाज, संतुलित आहार और मानसिक सहारा की जरूरत होती है। अगर महिलाएं इस विषय पर खुलकर बात करें और डॉक्टर की सलाह लें, तो कई गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।