धनतेरस 2025: क्यों जलाया जाता है धनतेरस पर यम का दीपक,जानिए इसकी सही विधि,लाभ और धार्मिक मान्यता

धनतेरस पर यमराज के नाम का दीपक जलाने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह दीपक अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है और घर में सुख, समृद्धि व सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

Yam diya 2025: धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है। साथ ही, सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस की शाम यमराज के नाम का दीपक जलाने की भी एक पौराणिक परंपरा है? इसे ‘यम दीपदान’ कहा जाता है और इसका धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व दोनों हैं।

इस वर्ष धनतेरस 18 अक्तूबर 2025 को मनाई जाएगी। इसी शाम यम दीपक जलाया जाएगा। मान्यता है कि धनतेरस की रात को घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर अकाल मृत्यु का संकट नहीं आता। यह दीपक लगातार पाँच दिनों तक, भाई दूज तक, जलाया जाता है। हर दिन नया दीप जलाकर पुराने का विसर्जन किया जाता है।

यम दीपक क्यों जलाया जाता है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यम दीपक जलाने से यमराज की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति दीर्घायु तथा स्वस्थ जीवन का वरदान पाता है। यह दीपक मृत्यु के भय को दूर करता है और घर में शांति, समृद्धि तथा सकारात्मकता लाता है।

यम दीपक जलाने की विधि

शाम के समय, विशेषकर प्रदोष काल में, घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएं। दीपक मिट्टी, आटे या गोबर का होना चाहिए, जिसमें दो या चार बत्तियां हों और सरसों का तेल डाला जाए। दीपक को सीधे जमीन पर न रखकर, चावल या फूल पर रखें। दीपक जलाते समय “ॐ यमदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।

यह भी ध्यान रखें कि दीप जलाने के बाद पीछे मुड़कर न देखें और अगले दिन उसका विसर्जन अवश्य करें। कहा जाता है कि यम दीपक जलाने से मृत्यु के बाद नरक के द्वार बंद हो जाते हैं और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।

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