Yamuna pollution has reduced:तेज बाढ़ से यमुना में जमा प्रदूषक बह गए, पानी में घुलित ऑक्सीजन बढ़ी और प्रदूषण का स्तर घटा, विशेषज्ञों ने इसे 10 सालों में सबसे बेहतर स्थिति बताया।
इस साल आई बाढ़ ने जहां दिल्ली और आसपास के इलाकों में तबाही मचाई, वहीं यमुना नदी के लिए यह अप्रत्याशित रूप से फायदेमंद साबित हुई। पानी के तेज बहाव ने नदी में जमा गाद और प्रदूषकों को बहा दिया। साथ ही, सीवेज का असर भी घट गया, क्योंकि भारी मात्रा में बाढ़ का पानी इसमें मिलकर उसे पतला कर गया। नतीजा यह हुआ कि यमुना का पानी 2013 के बाद सबसे साफ स्थिति में पहुंचा।
रिकॉर्ड सुधार दर्ज
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि सितंबर 2025 में यमुना का पानी एक दशक में पहली बार इतना साफ दिखा। यह पहली बार है जब बाढ़ के दौरान पानी के नमूने लिए गए और उनके नतीजों ने सबको चौंका दिया। रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि नदी की स्थिति में अचानक बड़ा सुधार हुआ है।
प्रदूषण स्तर में गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, ओखला बैराज पर फेकल कॉलिफॉर्म का स्तर 3,500 MPN/100 ml तक गिर गया, जो मानक सीमा के बेहद करीब है। तुलना करें तो अगस्त 2025 में यही स्तर 54,000 और जुलाई में चौंकाने वाला 92 लाख यूनिट दर्ज किया गया था। यह गिरावट साफ दिखाती है कि बाढ़ ने नदी से प्रदूषकों को बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई।
घुलित ऑक्सीजन और BOD में सुधार
एक और बड़ा बदलाव पानी में घुलित ऑक्सीजन (DO) और बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) में देखा गया। पहले यमुना में DO अक्सर शून्य हो जाता था, जिससे जलीय जीवन पर बुरा असर पड़ता था। लेकिन इस बार DO का स्तर 3.7–5.1 mg/l दर्ज किया गया, जो जलीय जीवों के लिए अनुकूल है। वहीं आईटीओ क्षेत्र में BOD घटकर 4 mg/l रह गया, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस सुधार के पीछे दो कारण हैं। पहला, बाढ़ का तेज बहाव जिसने गाद और प्रदूषकों को साफ कर दिया। दूसरा, हाल के वर्षों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की क्षमता और संचालन में सुधार। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति पिछले एक दशक में सबसे संतोषजनक है और यह दिखाता है कि अगर सही कदम उठाए जाएं तो यमुना को वास्तव में साफ किया जा सकता है।
सुधार अस्थायी, चेतावनी जारी
हालांकि इस सुधार को स्थायी मान लेना जल्दबाजी होगी। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के भीम सिंह रावत का कहना है कि जैसे ही बाढ़ का पानी घटेगा और नदी का बहाव कम होगा, untreated सीवेज का असर दोबारा बढ़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यमुना की वास्तविक सफाई के लिए ई-फ्लो (न्यूनतम जल प्रवाह) सुनिश्चित करना होगा और सीवेज प्रबंधन को और मजबूत बनाना होगा।
बाढ़ ने यह साबित कर दिया कि अगर यमुना में पर्याप्त मात्रा में पानी बहता है तो वह खुद को साफ करने की क्षमता रखती है। लेकिन लंबे समय तक साफ पानी बनाए रखना तभी संभव होगा जब प्रदूषण के स्थायी स्रोतों को रोका जाए। सरकार और एजेंसियों को चाहिए कि वे इस मौके को सबक मानकर नदी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाएं। वरना बाढ़ से आई यह ताजगी कुछ ही समय में गायब हो जाएगी और यमुना फिर पुराने हालात में लौट आएगी।