India New Zealand: भारत और न्यूजीलैंड के बीच सोमवार को नई दिल्ली में कई अहम समझौते हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लक्सन मौजूद रहे। दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करने का फैसला लिया। प्रेस वार्ता में बताया गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमति बनी।
रक्षा और सुरक्षा में बड़ा कदम
भारत और न्यूजीलैंड ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और रक्षा उद्योग में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया। न्यूजीलैंड ने भारत के संयुक्त समुद्री बलों में शामिल होने का स्वागत किया, जिससे समुद्री सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
न्यूजीलैंड में भारत विरोधी गतिविधियों पर चिंता
प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूजीलैंड के पीएम से उनके देश में कुछ गैरकानूनी तत्वों द्वारा की जा रही भारत विरोधी गतिविधियों पर अपनी गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यूजीलैंड सरकार ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
व्यापार, शिक्षा और कृषि में सहयोग
दोनों देशों ने व्यापार, शिक्षा, खेल, कृषि और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, रक्षा उद्योग में सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर भी सहमति बनी।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। उन्होंने 2019 के क्राइस्टचर्च हमले और 2008 के मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। दोनों देशों ने आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया।
संयुक्त बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई जरूरी है। आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क और सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट करने की दिशा में भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड एक स्वतंत्र, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि हम विस्तारवाद नहीं बल्कि विकास की नीति में विश्वास रखते हैं। उनका यह बयान चीन के बढ़ते प्रभाव और विस्तारवादी गतिविधियों को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आया है।
संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई, जहां संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए।