नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो द्वारा संचालिय चंद्रयान-3 अपने करीब सभी चुनौतियों को पार करके चांद की सतह के काफी नजदीक पहुंच गया है. अब इसके लिए एक आखिरी चुनौती चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग ही बाकी है. अगर भारतीय कृत्रिम उपग्रह इसको पार कर लेता है तो वो आगे चांद की सतह पर रिसर्च करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा.
चांद की सतह से करीब 100 मीटर की दूरी
भारत का चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर चुका है. इसके बाद ये डीबूस्टिंग यानी यान को धीमी करने की प्रकिया से भी गुजर चुका है. अब चंद्रयान-3 और चांद की सतह के बीच मात्र करीब 100 किलोमीटर की ही दूरी बची है. 23 अगस्त के दिन चंद्रयान-3 चांद दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने वाला है.
चंद्रयान-3 के लिए बेहतरीन एल्गोरिदम होना सही
बता दें कि इसरो का चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है. इसको चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरकर यहां का परीक्षण करना है. चंद्रयान-3 में एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक रोवर और एक लैंडर है. चंद्रयान-3 की सफलता के लिए नए उपकरण लगाए गए हैं. इस मिशन का सबसे मुख्य पड़ाव चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बेहतरीन एल्गोरिदम होना है. इन्ही खामियों की वजह से भारत का चंद्रयान-2 मिशन सफल नहीं हो पाया था.
चांद के डार्क साइड में उतरेगा चंद्रयान-3
गौरतलब है कि 14 जुलाई के दिन दोपहर 2.35 मिनट पर चंद्रयान-3 ने श्री हरिकोटा केंद्र से सफलात पूर्वक उड़ान भरी थी. आगे अगर सबकुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो 23 अगस्त के दिन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलता पूर्वक लैंडिंग करेगा. ये चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है, इसको डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं. चांद का यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता है.