Tripple Divorce Law: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि 2019 में तीन तलाक को अपराध घोषित करने के बाद से अब तक देशभर में कितने मामले दर्ज हुए हैं। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने सरकार से कहा कि वह यह बताए कि अब तक कितनी एफआईआर दर्ज हुई हैं, कितने आरोप पत्र दाखिल हुए हैं और हाई कोर्ट में कितने मामले लंबित हैं।
तीन तलाक कानून की संवैधानिकता पर सवाल
2019 में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम’ लागू हुआ था। अब इसकी संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 12 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता कोझिकोड स्थित मुस्लिम संगठन ‘समस्त केरल जमीयत उल उलेमा’ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार और अन्य पक्ष तीन पन्नों में अपनी दलीलें लिखकर दें।
17 मार्च से होगी अंतिम सुनवाई
अब इस मुद्दे पर अंतिम सुनवाई 17 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह पूरी रिपोर्ट देखना चाहता है कि तीन तलाक कानून लागू होने के बाद से अब तक क्या हुआ है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
कानून में सजा का प्रावधान क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि याचिकाकर्ता तीन तलाक का समर्थन नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे सिर्फ इसके अपराधीकरण पर सवाल उठा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि यहां कोई यह नहीं कह रहा कि तीन तलाक सही है, लेकिन सवाल यह है कि इसे अपराध क्यों बनाया गया
तीन तलाक कानून में क्या है
2019 में बने इस कानून के तहत तीन तलाक को गैरकानूनी माना गया है। अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो उसे तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।
इसके बावजूद, कई जगहों पर अब भी तीन तलाक की घटनाएं सामने आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था।
अब सरकार क्या करेगी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह पूरे देश के आंकड़े पेश करे। सरकार को बताना होगा कि अब तक कितने केस दर्ज हुए, कितने मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई और कितने मामलों में कोर्ट का फैसला आया।