Fauja Singh Death: दौड़ की दुनिया के सितारे फौजा सिंह नहीं रहे 114 साल की उम्र में सड़क हादसे में हुआ निधन

प्रसिद्ध धावक फौजा सिंह का 114 वर्ष की उम्र में सड़क हादसे में निधन हो गया। उन्होंने 100 की उम्र में मैराथन पूरी की थी। पीएम मोदी सहित लाखों लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

Fauja Singh death and life story of India’s oldest marathon runner

Fauja Singh passed away: भारत के सबसे उम्रदराज और चर्चित मैराथन धावक फौजा सिंह का 14 जुलाई 2025 को दुखद निधन हो गया। जालंधर के पास उनके गांव ब्यास पिंड में दोपहर करीब 3:30 बजे, जब वे सड़क पार कर रहे थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। उन्हें तुरंत पास के निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

114 साल की उम्र में भी जोश बरकरार

फौजा सिंह की उम्र 114 वर्ष थी। उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था। उन्हें प्यार से लोग “टर्बनड टॉरनेडो” कहते थे। उन्होंने 89 साल की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू किया और जल्द ही उन्होंने अपनी मेहनत और हौसले से दुनिया को हैरान कर दिया। वर्ष 2011 में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन को पूरा कर वे 100 साल की उम्र में फुल मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति बन गए। वे 101 साल की उम्र तक प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।

पीएम मोदी ने जताया गहरा शोक

फौजा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: “फौजा सिंह जी अपनी अलग पहचान और फिटनेस के प्रति समर्पण के लिए युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत थे। उनका हौसला और आत्मविश्वास अविश्वसनीय था। उनके निधन से बहुत दुख पहुंचा है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनियाभर में फैले उनके चाहने वालों के साथ हैं।”

फिटनेस और जज़्बे की मिसाल

फौजा सिंह न सिर्फ एक खिलाड़ी थे, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा भी थे। जिस उम्र में लोग चलने में भी असहज महसूस करते हैं, उस उम्र में वे मैराथन दौड़ते थे। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, अगर इरादे मजबूत हों तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। उनकी जीवनशैली, सादा भोजन और नियमित व्यायाम उनकी लंबी उम्र और फिटनेस का राज था। वे कई हेल्थ कैंपेन और युवाओं के मोटिवेशन प्रोग्राम का भी हिस्सा रहे।

फौजा सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका जीवन और संघर्ष हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। वे एक मिसाल बन चुके हैं कि कैसे उम्र की सीमाएं केवल मन की बनावट हैं।

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