क्या कभी आपने ऐसी जगह के बारे में सुना हैं, जहां लोग अपने घर को खुला छोड़ जाते हैं, जहां चोरों का कोई डर नहीं होता। अगर नहीं सुना है तो आज इस लेख में हम आपको बताएंगे एक ऐसा ही जगह के बारे में जहां किसी के भी घर में दरवाजा नहीं है। इस वजह से वहां पर रहने वाले लोग ताला भी नहीं लगाते और ना ही कोई चोरी की घटना सामने आ रही है।
बता दें कि शिरडी से अंदाजन 75 किमी और अहमदनगर शहर से 40 किमी दूर शनि शिंगणापुर गांव। इस गांव को शनि महारज का गांव कहा जाता है। यहां के बारे में बहुत कुछ सुना गया है, जैसे कि इसी गांल में भगवान शिनदेव का जन्म हुआ था। इस गांव के किसी भी घर में ना तो आप दरवाजा देखेंगे और ना ही उसपर लटका ताला। एक और बड़ी बात जो हैं, वो ये कि इस गांव से कभी भङी चोरी की घटना जैसी कोई भी शिकायत सामने नहीं आई है।
वहां के लोगो का कहना है कि इस गांव को शनि देव ने वरदान दिया है। उन्होंने यहां के लोगों को कहा है कि तुम लोग अपने-अपने कामकाज करो और मेरी सेवा करो, तुम सबकी रक्षा की जिम्मेंदारी मेरी है। आपको बता दें वहां ना सरकारी स्कूल, दुकान, होटल इन सब में भी ताला नहीं लगाया जाता है। टूरिस्ट भी अपना सामान होटल में छोड़कर बेफिक्र यहां-वहां घूम रहे होते हैं।
वहीं गांव के 45 वर्षीय गणेश भाई कहते हैं कि हमने तो अपने होशहवास में कभी किसी को ताला लगाते हुए नहीं देखा है। यहां शनि देव खुद ही घर की निगरानी करते है। घर हो या दुकान हो कहीं पर भी कोई ताला नहीं लगता है। चोरी की बात पूछने पर कोई घटना याद करने के लिए लोगों को दिमाग पर जोर देना पड़ रहा है। इसके मायने ये हैं कि चोरी हुई ही नहीं है। अगर कभी किसी ने कोशिश की है तो शनिदेव ने उसे कड़ा दंड भी दिया है। शनिदेव के दंड से डरते लोग यहां किसी भी सामान को हाथ तक नहीं लगाते हैं।
मंदिर के मैनेजर बनकर का कहना है कि हमारे पास शनिदेव के कीमती गहने हैं। जिसमें पांच किलो सोने का मुकुट है। गले में पहनने वाले सोने और हीरे के भी कई गहने हैं। चूंकि यहां के एकमात्र बैंक में भी ताला नहीं लगाया जाता है इसलिए हमने वो गहने पास के सोनई गांव में एक बैंक के लॉकर में रखे हैं। उस बैंक की तरफ से हमें वो लॉकर फ्री में दिया गया है। हर मुख्य त्योहार वाले दिन शनिदेव को वह गहने पहनाए जाते हैं। अगर किसी पने भी चोरी करने का प्रयास किया तो वो अंधा हो जाता है। इसे शनि देव की कृपा कहा जाता है।
गांव वासी पूरी तरह से शनि रंग में रंगे हुए हैं। मंदिर के चलते यहां रोजगार भी है। मंदिर के चलते गांव के लोगों की दिनचर्या महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों से अलग है। प्रो. देसाई बताते हैं कि शनिवार वाले दिन शनि शिंगणापुर के लोग व्रत रखते हैं। हर शाम को मंदिर में आरती के बाद ही उनके घरों में चूल्हा जलता है। पहले शनि भगवान को भोग लगता है तब गांव के लोग खाना खाते हैं।इस गांव के लोग शनि की ढैय्या या साढ़े साती को नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि शनिदेव हमेशा शुभ फल देते हैं, बशर्ते कर्म सही होना चाहिए।