टारगेट किलिंग को रोकने के लिए केंद्र सरकार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है। अल्पसंख्यक आबादी वाले इलाकों में CRPF के जवानों की तैनाती के बाद अब लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकी संगठन घोषित करते हुए बैन लगा दिया है। दरअसल यह संगठन जम्मू-कश्मीर में कई टारगेट किलिंग में शामिल रहा है। गृह मंत्रालय ने गुरुवार यानी 5 जनवरी को देर रात नोटिफिकेशन जारी करते हुए TRF के कमांडर शेख सज्जाद गुल और लश्कर कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ अबु खुबैब को आतंकी घोषित कर दिया है। दोनों UAPA के तहत कार्रवाई हुई है।
TRF पर बैन लगाना क्यों जरूरी था
इससे पहले सरकार ने सितंबर 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया था। इनके खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले थे। इस बीच गृह मंत्रालय ने बताया कि TRF आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने, आतंकियों की घुसपैठ, आतंकियों की भर्ती और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए युवाओं की भर्ती कर रहा है। TRF साल 2019 में बना था। TRF पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए जम्मू-कश्मीर के युवाओं को भारत सरकार के खिलाफ उकसाने का आरोप लगा है।
वहीं गृह मंत्रालय बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ अबु खुबैब को आतंकवादी घोषित कर दिया गया है। मोहम्मद अमीन जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है। फिलहाल वह पाकिस्तान में है। मोहम्मद अमीन लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्चिंग कमांडर के रूप में काम कर रहा है। उसका पाकिस्तान की एजेंसियों के साथ भी संबंध है।
TRF है क्या
जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठनों में ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नया नाम जुड़ा है। सुरक्षाबलों का मानना है कि 2019 में कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से TRF की गतिविधियां बढ़ी हैं।
सुरक्षा मामलों के जानकार का कहना है कि सीमा पार से ISI हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से TRF को खड़ा किया है। इस आतंकी संगठन ने सबसे ज्यादा टारगेट किलिंग की घटनाओं को अंजाम दिया है। इसने ज्यादातर पुलिस अफसरों और नेताओं को निशाना बनाया है।
वहीं कुछ का कहना है कि TRF कुछ नया नहीं है बल्कि आतंकी संगठन जैश और लश्कर के कैडर्स का ही नया नाम है। पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी (ISI) की रणनीति के अनुसार ये नाम बदलते रहते हैं।’
वहीं 1990 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के गठन के बाद ये पहली बार है कि किसी मिलिटेंट संगठन को गैर इस्लामिक नाम दिया गया है।
कश्मीर में लगातार क्यों हो रही टारगेट किलिंग,
खुफिया एजेंसियों के अनुसार टारगेट किलिंग पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी (ISI) की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। इसका मकसद है आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना। धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर में टारगेट किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं। जिसमें आतंकियों ने खासतौर पर कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों के साथ-साथ सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वह भारत का करीबी मानते हैं।