जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है। दरअसल महबूबा मुफ्ती को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश दिए गया है। प्रशासन ने श्रीनगर के गुपकार स्थित सरकारी बंगले को खाली करने को लेकर नोटिस जारी कर दिया है।
इस पर महबूबा का कहना है कि कुछ दिन पहले ही उन्हें सरकारी बंगला फेयर व्यू को खाली करने का नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है और आपेक्षित है।
इसकी कीमत तो चुकानी होगी
तो वहीं दूसरी तरफ एक कार्यक्रम के दौरान उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने फारूक का नाम लिए बगैर उनपर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों पर उंगली उठाने और निर्दोष लोगों की हत्या को जायज ठहराने वालों को इसकी कीमत तो चुकानी ही होगी। वहीं महबूबा को दिए गए नोटिस में जम्मू-कश्मीर एस्टेट्स विभाग ने लिखा है कि आपको सूचित किया जाता है कि यदि आपको वैकल्पिक आवास की आवश्यकता है तो सरकार आपके अनुरोध पर आवास प्रदान करने के लिए तैयार है।

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री ने फेयर व्यू से बेदखल करने का नोटिस को लेकर कहा है कि मुझे इस नोटिस को देखकर कोई आश्चर्य नहीं ये मेरी उम्मीद के अनुरूप है। मुझे हाल ही में नोटिस बरामद हुआ है। उन्होंने कहा कि नोटिस में उल्लेख किया गया है कि बंगला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के लिए है। जबकि ऐसा नहीं है।
मुफ्ती के पिता को 2005 में मिला था ये आवास
ये जगह मेरे पिता यानी मुफ्ती मोहम्मद सईद को दिसंबर 2005 में आवंटित हुआ था। उस वक्त उन्होंने मुख्यमंत्री पद को छोड़ दिया था। इसलिए प्रशासन द्वारा दिया गया आधार कि ये बंगला सीएम के लिए है ये आधार सही नहीं है। वहीं मुफ्ती ने कानून की अदालत में नोटिस को चुनौती देने को लेकर कहा कि वह अपनी कानूनी टीम से सलाह लेंगी। उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास ऐसी कोई भी जगह नहीं है जहां मैं रह सकूं।
इसलिए मुझे कोई भी निर्णय लेने से पहले अपनी टीम से बात करनी होगी। वहीं आपको बता दें कि इससे पहले साल की शुरूआत में अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पात्रता ने आधिकारिक निवास खाली कर दिया था। उन्होंने यह आवास नियमों में बदलाव के मद्देनजर स्वेच्छा से खाली किया था।





