Himachal Assembly : हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 2024 पारित किया, जिसका उद्देश्य विधायकों के दल-बदल को रोकने के लिए उनकी पेंशन बंद करना है. यह विधेयक Himachal Pradesh विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971 में संशोधन करता है.
2024 के विधेयक के माध्यम से 1971 अधिनियम की धारा 6बी (पेंशन) में उप-धारा 2ए जोड़ी गई है, जो संविधान में दल-बदल विरोधी प्रावधानों के तहत अयोग्य ठहराए गए विधायकों की पेंशन को रद्द करती है.
विधायकों को पार्टी बदलने से रोकना
दल-बदल विरोधी कानून को भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में 1985 में 52वें संशोधन ( Himachal Pradesh) अधिनियम के तहत शामिल किया गया था. इसका उद्देश्य सरकारों की स्थिरता को बनाए रखना और विधायकों को पार्टी बदलने से रोकना था.
दल-बदल विरोधी
दल-बदल विरोधी प्रावधान उन नियमों को निर्धारित करते हैं जिनके आधार पर चुने गए सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वे किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होते हैं.
Himachal Pradesh विधेयक के धारा 6बी के उप-धारा 2ए में कहा गया है. (2ए.) इस धारा में किसी भी विपरीत प्रावधान के बावजूद, यदि किसी व्यक्ति को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कभी भी अयोगठहराया गया है, तो वह इस अधिनियम के तहत पेंशन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा.” इस विधेयक में उस व्यक्ति द्वारा पूर्व में ली गई पेंशन की वसूली का भी प्रावधान है.
साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस उप-धारा के तहत पेंशन प्राप्त करने के योग्य नहीं माना जाता है, तो उससे पूर्व में ली गई पेंशन की राशि को उस तरीके से वसूला जाएगा जो निर्धारित किया जा सकता है,” उप-धारा 2ए के प्रावधान में कहा गया है.
भत्ते और पेंशन
विधेयक के उद्देश्य और कारणों के बयान के अनुसार, 1971 का अधिनियम हिमाचल प्रदेश के विधान सभा के सदस्यों को भत्ते और पेंशन प्रदान करने के लिए बनाया गया था.
वर्तमान में, इस अधिनियम में भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत विधायकों के दल-बदल को हतोत्साहित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं था, इसलिए इसे जोड़ा गया है.
इसलिए, संविधानिक उद्देश्य को प्राप्त करने और राज्य के नागरिकों द्वारा दिए गए जनादेश की रक्षा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए 2024 का यह संशोधन विधेयक पेश किया गया और पारित हुआ.
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