Indian Air Force: भारतीय वायुसेना इस समय लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है। वायुसेना के लिए 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन के सहारे काम चलाया जा रहा है। पिछले एक दशक में तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे। वायुसेना के पास फिलहाल दो स्क्वाड्रन राफेल मौजूद हैं, जिनमें से एक को चीन और दूसरे को पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया गया है। एक स्क्वाड्रन में कुल 18 विमान होते हैं।
मेक इन इंडिया से उम्मीदें
सरकार ने निर्णय लिया है कि भविष्य में भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत पूरा किया जाएगा। इसके तहत भारत ने अपना खुद का फाइटर जेट तेजस तैयार कर लिया है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि उत्पादन की गति बहुत धीमी है। कल-पुर्जों की सप्लाई में देरी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जिससे वायुसेना की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
तेजस MK 1A और उसका मुकाबला
भारतीय पब्लिक सेक्टर की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर तेजस MK 1A विकसित किया है। यह 4.5+ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है और इसकी तुलना राफेल से की जाती है। इस विमान में भारतीय रडार सिस्टम और कई एडवांस मिसाइलें लगाई गई हैं। वायुसेना ने HAL को 83 तेजस MK 1A का ऑर्डर दे दिया है और अगले 10 वर्षों में 300 से अधिक तेजस विमानों का बेड़ा खड़ा करने की योजना बनाई गई है।
वायुसेना प्रमुख की नाराजगी
तेजस के धीमे उत्पादन से वायुसेना प्रमुख एपी सिंह खासे नाराज हो गए। उनकी नाराजगी के बाद सरकार और HAL में हड़कंप मच गया। रक्षा मंत्रालय ने तुरंत एक कमेटी बनाई, जो तेजस के प्रोडक्शन में आ रही अड़चनों की जांच कर रही है। इस कमेटी को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी, ताकि उत्पादन की रफ्तार बढ़ाई जा सके।
अमेरिकी कंपनी बनी देरी की वजह
तेजस MK 1A के उत्पादन में सबसे बड़ी रुकावट एक अमेरिकी कंपनी बनी हुई है। HAL ने अमेरिकी कंपनी GE के साथ 99 GE-404 इंजन की सप्लाई का करार 2021 में किया था, लेकिन सप्लाई में लगभग दो साल की देरी हो गई। अब जाकर GE इस महीने पहला इंजन भेजने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक, GE इस साल 12 और अगले साल 20 इंजन की सप्लाई कर सकती है।