न्यूज वन इंडिया, ब्यूरो: पूर्वांचल में पिछले चार दिनों तक हुई भारी बारिश के बाद नेपाल से निकलने वाली नदियां उफान पर हैं, नेपाल की ओर से 5 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़े जाने के बाद से सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर समेत कई जिलों के तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गांव घर खेत सब के सब पानी में डूबे हैं और नदियों का रौद्र रुप ऐसा कि अभी भी राहत मिलने की ज्यादा उम्मीद नहीं है।
सैकडों घरों में घुसा पानी
चार पांच दिनों तक हुई भारी बारिश के बाद नेपाल की ओर से पानी छोड़ा गया जिसका नतीजा हुआ कि अकेले सिद्धार्थनगर जिले की चारों नदियां जिसमें राप्ती, बूढ़ी राप्ती, कूड़ा और घोंघी नदियां शामिल है खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। अचानक आया पानी सैकडों घरों में घुस आया जिसकी वजह से लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिल पाया नतीजा पानी में बहुत ज्यादा नुकसान भी हो गया।
बाढ़ और बारिश का कहर
एक ओर बाढ़ और बारिश का कहर तो दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी। बाढ़ से घिरे लोग दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित कपिलवस्तु विधानसभा का कोयड़ा गांव हैं जहां लोगों के अनाज और अन्य सामान पानी की धारा में बह गए। उपर से अब तक इन्हें सरकारी मदद का इंतजार है। प्रशासन ने मदद का भरोसा तो दिया है लेकिन कब तक इसका अभी कोई ठिकाना नहीं है।
मदद का दिया भरोसा
सिद्धार्थनगर से ज्यादा खराब हालात कुशीनगर में है जहां नेपाल से निकलने वाली नारायणी नदी का रौद्र रुप देखने को मिल रहा है। नेपाल के पहाड़ों पर भारी बारिश के बीच नेपाल की ओर से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया जिसके बाद नारायणी नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव में अचानक पानी घुस आया। सबसे ज्यादा मुश्किल में खड्डा विधानसभा के भगवानपुर गांव के लोग हैं जो बिल्कुल टापू में तब्दील हो चुका है। मौके पर डीएम, एसपी और क्षेत्रीय विधायक ने लोगों से नाव से जाकर मुलाकात की और मदद का भरोसा दिया
समाधान कब निकलेगा ?
बाढ़ और बर्बादी इस इलाके की सालाना समस्या है। बाढ़ नियंत्रण के नाम से शासन से आने वाला फंड कहां चला जाता है कभी पता नहीं चलता क्योंकि हर साल की तबाही पिछले साल से ज्यादा ही होती है। ऐसे में शासन प्रशासन बाढ़ प्रभावितों की मदद की बात तो कर रहा है आखिर इसका स्थाई समाधान कब निकलेगा ये बड़ा सवाल है।