RG Kar Case: कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 48 सीनियर डॉक्टरों और फैकल्टी सदस्यों ने मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दे दिया। जूनियर डॉक्टर पिछले दो महीनों से राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं और सुरक्षा में सुधार की मांग कर रहे हैं और अब भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इनकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए वरिष्ठ डॉक्टरों ने राज्य सरकार पर दबाव डालने का फैसला किया। इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों का कहना है कि यह सरकार के साथ बातचीत की शुरुआत के लिए जरूरी कदम है।
जूनियर डॉक्टर भूख हड़ताल पर
RG Kar मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर 1 अक्टूबर से पूर्ण रूप से काम बंद कर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में अस्पतालों में सुरक्षा का सख्त इंतजाम, केंद्रीय रेफरल प्रणाली, और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने जैसी 10 प्रमुख मुद्दे शामिल हैं। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगें सिर्फ उनकी सुरक्षा से संबंधित नहीं हैं, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी से भी जुड़ी हैं।
सीनियर डॉक्टरों का समर्थन
सीनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वे जूनियर डॉक्टरों के साथ खड़े हैं और राज्य सरकार को हड़ताल खत्म करने के लिए बातचीत करनी चाहिए। डॉ. देबब्रत दास ने कहा, “हम चुप नहीं बैठ सकते। ये जूनियर डॉक्टर हमारे बच्चों जैसे हैं, इसलिए हमने उनका समर्थन करते हुए इस्तीफा दिया है।” इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों का कहना है कि वे तब तक काम करते रहेंगे, जब तक सरकार उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं कर लेती।
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राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल सरकार ने 1 नवंबर से अस्पतालों में केंद्रीय रेफरल सिस्टम और निगरानी प्रणाली शुरू करने की घोषणा की है। राज्य के मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार डॉक्टरों के साथ बातचीत के लिए तैयार है और काम में प्रगति हो रही है। हालांकि, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
क्या है मांगे
जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में बलात्कार-हत्या पीड़िता को न्याय दिलाना, राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाना, अस्पतालों में पुलिस की तैनाती, डिजिटल बेड निगरानी प्रणाली लागू करना और मेडिकल कॉलेजों में रिक्तियों की भर्ती शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगें न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए भी हैं। डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे और सरकार द्वारा कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की घोषणा के बाद अब यह देखना होगा कि दोनों पक्ष किसी समझौते तक पहुंचते हैं या नहीं।