Success Story: मज़दूर पिता के अफ़सर बेटे की कहानी, जाने कितनी मेहनत के बाद Sai Dinesh बने CA टॉपर

साई दिनेश ने सीए फाइनल परीक्षा में ऑल इंडिया 40वीं रैंक हासिल कर न केवल अपनी मेहनत से सफलता प्राप्त की, बल्कि अपने माता पिता के सपनों को भी साकार किया। उन्होंने आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों के बावजूद 12 से 14 घंटे की कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया।

Success Story: CA (चार्टर्ड अकाउंटेंट) बनना कई युवाओं का सपना होता है, और यह सपना सच करने में हैदराबाद के 22 वर्षीय साई दिनेश ने अपनी मेहनत और संघर्ष से एक नई मिसाल पेश की है। हाल ही में सीए फाइनल परीक्षा का रिजल्ट आया, जिसमें साई दिनेश ने ऑल इंडिया 40वीं रैंक हासिल की। यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उनके माता पिता के लिए भी गर्व का क्षण बन गई। दिनेश ने अपनी इस सफलता को केवल एक परीक्षा पास करने के रूप में नहीं देखा, बल्कि यह उनके माता पिता के लिए सपने को साकार करने जैसा था।

मेहनत से हासिल किया मुकाम

साई दिनेश की सफलता में एक बहुत बड़ी कहानी छिपी हुई है, और यह कहानी सिर्फ उनकी मेहनत तक सीमित नहीं है। उन्होंने न केवल आर्थिक चुनौतियों का सामना किया, बल्कि अपनी सेहत को लेकर भी कई मुश्किलों को पार किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, साई दिनेश के पिता पहले एक राजमिस्त्री के रूप में काम करते थे और अब एक छोटे से कंस्ट्रक्शन ठेकेदार हैं। इसके बावजूद, उन्होंने हमेशा दिनेश की शिक्षा में अटूट सहयोग दिया। दिनेश का कहना है कि उनके पिता ने कभी भी उन्हें पढ़ाई से दूर जाने की बात नहीं की, बल्कि हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया।

पारिवार का परिचय

दिनेश ने बताया कि उनके पिता की पढ़ाई में रुचि थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए थे। इसके बावजूद, उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को पढ़ाई से दूर होने की सलाह नहीं दी। जब साई दिनेश ने सीए बनने का सपना देखा, तो उनके पिता ने उसे पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। दिनेश की मां, जो एक हाउसवाइफ हैं, ने भी हमेशा उनका मनोबल बढ़ाया।

भविष्य की योजना

दिनेश का कहना है कि उनका मुख्य लक्ष्य यह है कि वे अपने माता-पिता को आरामदायक जिंदगी दे सकें। वे चाहते हैं कि उनके माता-पिता को अब कोई चिंता न हो और वे आराम से अपना जीवन जी सकें। उनका मानना है कि अपनी परेशानियों और संघर्षों के बावजूद, उनका उद्देश्य बस यही है कि उनके माता-पिता खुश रहें।

 

 

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