Supreme Court ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस निर्णय पर गंभीर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने प्रधान सचिव और वन मंत्री की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का फील्ड डायरेक्टर नियुक्त कर दिया.
बता दें, कि जब वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन एस नाडकर्णी ने तर्क किया कि मुख्यमंत्री केवल एक “उत्कृष्ट अधिकारी” को बलि चढ़ाने से बचना चाहते थे, तो न्यायमूर्ति बी आर गवई, जो तीन-न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, तब उन्होंने कहा कि धामी को कम से कम यह दर्ज करना चाहिए था कि उन्होंने अपने अधिकारियों की आपत्तियों को क्यों अस्वीकार किया.
जस्टिस गवई ने क्या कहा
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, कि “हम किसी पुराने सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसा कहे वैसा ही हो. इस देश में सार्वजनिक विश्वास का सिद्धांत होता है. कार्यकारी प्रमुखों को पुरानी पीढ़ी के राजाओं की तरह नहीं माना जा सकता, जिनके कहे अनुसार सब कुछ चलता हो. जब एक विशिष्ट नोटिंग होती है, जो कि अनुभाग अधिकारी से लेकर उप सचिव, प्रधान सचिव और वन मंत्री तक द्वारा अनुमोदित होती है कि कुछ कारणों से किसी को वहांतैनात नहीं किया जाना चाहिए, तो क्या मुख्यमंत्री केवल अपनी स्थिति के आधार पर सब कुछ बदल सकते हैं?
जस्टिस गवई ने आगे कहा कि एक विशिष्ट नोट है, जिसमें बताया गया है कि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है और सीबीआई जांच भी है, इसलिए उन्हें टाइगर रिजर्व में कहीं भी तैनात नहीं किया जाना चाहिए.
यह सब उप सचिव, प्रधान सचिव और वन मंत्री द्वारा अनुमोदित है, जिसे मुख्यमंत्री ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. 30 अगस्त को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने रिपोर्ट किया था कि धामी ने वन मंत्री और मुख्य सचिव की नियुक्ति पर पुनर्विचार की सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए, राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रभार सौंप दिया.
अदालत के सम्मान में
बुधवार को, जब मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय सशक्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट के बाद न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया, नाडकर्णी ने कहा कि अदालत के सम्मान में, “राहुल की राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में फील्ड डायरेक्टर के रूप में पोस्टिंग का आदेश वापस ले लिया गया है.
कार्यवाही खत्म कर दी
अदालत ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि कोई और आदेश देने की जरूरत नहीं है और कार्यवाही समाप्त कर दी. नाडकर्णी ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ने सभी आपत्तियों और सीईसी रिपोर्ट पर विचार किया था, लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई. जस्टिस गवई ने कहा कि “हम पुराने सामंती युग में नहीं हैं,” जोड़ते हुए कि जब सभी अधीनस्थ अधिकारियों ने आपत्तियां उठाईं, तो मुख्यमंत्री ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और सिर्फ एक लाइन की टिप्पणी की, जबकि उन्हें विस्तृत कारण देना चाहिए था.
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