Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 427

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 428
रिश्वत लेने वालो पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट

रिश्वत लेने वालो पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, भ्रष्ट सेवकों के प्रति उदारता ना दिखाएं निचली अदालत

भारत में रिश्वत लेना और भ्रष्टाचार करने वालो की अब खैर नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगो पर फैसला दिया है जिससे अब भ्रष्ट सरकारी अफसर तुरंत नप जाएंगे। कोर्ट की एक बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि भ्रष्ट अफसरों पर कार्यवाई और सजा परिस्थिति जन्य सबूतों से भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि अगर परिस्तिथिजन्य सबूतों से यह साबित होता है कि आरोपी अफसर ने रिश्वत की रकम मांगी और ली है, तो उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।

रिश्वत ले रहे सरकारी बाबुओं पर कोर्ट ने कसी नकेल

सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए रिश्वत खोरो के खिलाफ शिकंजा कसा है। बृहस्पतिवार को कोर्ट की एक बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि भ्रष्ट अफसरों पर कार्यवाई और सजा परिस्थिति जन्य सबूतों से भी हो सकती है। जिसके चलते अब रिश्वत ले रहे सरकारी बाबुओं पर कोर्ट द्वारा नकेल कसी गयी है। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा की, शिकायतकर्ता की मौत, उसके केस के विरोध में हो जाने या किसी भी अन्य कारण से मामले की सुनवाई धीमी नहीं होगी या सरकारी अधिकारी को बरी नहीं किया जा सकता। उसके खिलाफ किसी भी अन्य सबूत या गवाह की मौजूदगी से भ्रष्टाचार का केस जारी रहेगा।

भ्रष्ट लोक सेवकों के प्रति उदारता नहीं दिखानी चाहिए- कोर्ट

फैसले के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतों को भ्रष्ट लोक सेवकों के प्रति उदारता नहीं दिखानी चाहिए। भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए ईमानदार प्रयास किये जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने उम्मीद जताई कि भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने वाले और जांच अधिकारी, दोनों ईमानदारी से प्रयास कर मुकदमों को अंजाम तक पहुंचाएंगे। इससे सरकारी कामकाज से भ्रष्टाचार का प्रदूषण दूर होगा।

Exit mobile version